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भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ ही खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने मैदान पर अपनी धाकड़ बल्लेबाजी और जबरदस्त फील्डिंग से लाखों दिलों पर राज किया हो। युवराज सिंह एक ऐसा ही नाम है जो भारतीय क्रिकेट में एक महानायक के रूप में जाना जाता है। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी, शानदार फील्डिंग और बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी ने उन्हें विश्व क्रिकेट में एक अलग पहचान दिलाई।
युवराज सिंह का नाम सुनते ही दिमाग में 2007 टी20 विश्व कप के दौरान स्टुअर्ट ब्रॉड की एक ओवर में छह छक्के लगाने की यादगार पारी आ जाती है। 2011 विश्व कप में उनका शानदार प्रदर्शन भी कभी नहीं भुलाया जा सकता जहां उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया था। लेकिन उनकी कहानी सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़कर वापस मैदान पर लौटना उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा संघर्ष और जीत थी।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | युवराज सिंह (Yuvraj Singh) |
| उपनाम | यूवी |
| जन्म तिथि | 12 दिसंबर 1981 |
| जन्म स्थान | चंडीगढ़, भारत |
| उम्र | 43 वर्ष (2025 तक) |
| ऊँचाई | लगभग 6 फीट (183 सेमी) |
| वजन | लगभग 75 किलोग्राम |
| पिता का नाम | योगराज सिंह |
| माता का नाम | शबनम सिंह |
| भाई का नाम | ज़ोरावर सिंह |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी का नाम | हैज़ल कीच |
| संतान | एक बेटा और एक बेटी |
| धर्म | सिख धर्म |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| पेशा | पूर्व भारतीय क्रिकेटर |
| भूमिका | ऑलराउंडर (बाएं हाथ के बल्लेबाज, बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज) |
| जर्सी नंबर | 12 |
| अंतरराष्ट्रीय करियर | 2000 से 2017 |
| निवास स्थान | चंडीगढ़, भारत |

युवराज सिंह का जन्म 12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़, पंजाब में हुआ था। उनके पिता योगराज सिंह खुद एक क्रिकेटर थे जिन्होंने भारत के लिए एक टेस्ट मैच और छह वनडे खेले थे। उनकी माता शबनम सिंह एक गृहिणी हैं। युवराज के पिता चाहते थे कि उनका बेटा वह सब हासिल करे जो वे अपने करियर में नहीं कर पाए।
युवराज का बचपन एक क्रिकेट प्रेमी परिवार में बीता। उनके पिता योगराज सिंह ने बचपन से ही युवराज को क्रिकेट की ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। युवराज को शुरू से ही क्रिकेट में बहुत रुचि थी लेकिन उनके पिता की सख्त ट्रेनिंग और अनुशासन ने उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाने में अहम भूमिका निभाई।
युवराज के पिता योगराज सिंह बेहद सख्त कोच थे। वे युवराज से घंटों प्रैक्टिस करवाते थे। कई बार युवराज थक जाते थे लेकिन उनके पिता उन्हें कोई छूट नहीं देते थे। इस सख्त अनुशासन ने युवराज को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया।

युवराज सिंह ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत घरेलू क्रिकेट से की। उन्होंने पंजाब की तरफ से रणजी ट्रॉफी में खेलना शुरू किया। घरेलू क्रिकेट में उनके शानदार प्रदर्शन ने जल्द ही चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। युवराज की आक्रामक बल्लेबाजी शैली और शानदार फील्डिंग ने सभी को प्रभावित किया।
1999-2000 के सीजन में युवराज ने रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कई मैचों में अर्धशतक और शतक बनाए। उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें अंडर-19 टीम में चुना गया। 2000 में अंडर-19 विश्व कप में युवराज ने धमाकेदार प्रदर्शन किया और भारत को फाइनल तक पहुंचाया। हालांकि भारत फाइनल में श्रीलंका से हार गया लेकिन युवराज इस टूर्नामेंट के स्टार खिलाड़ी बनकर उभरे।
अंडर-19 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के बाद युवराज की सीनियर टीम में चुने जाने की उम्मीदें बढ़ गईं। उनकी मेहनत और प्रतिभा ने जल्द ही उन्हें भारतीय टीम का दरवाजा खोल दिया।

युवराज सिंह ने अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू 3 अक्टूबर 2000 को केन्या के खिलाफ वनडे मैच में किया। यह मैच नैरोबी में खेला गया था। पहले ही मैच में युवराज ने 21 गेंदों पर 24 रन बनाकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उनकी फील्डिंग भी बेहद शानदार रही जिससे सभी प्रभावित हुए।
युवराज ने अपने शुरुआती दिनों में टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए बहुत मेहनत की। उन्होंने मध्यक्रम में बल्लेबाजी करते हुए कई मैच जिताए। उनकी फील्डिंग तो शुरू से ही विश्व स्तरीय थी। वे कवर और पॉइंट पर शानदार कैच लेते थे और रन आउट करते थे।
2002 में नेटवेस्ट सीरीज के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ युवराज ने 69 रन की पारी खेली। यह पारी भारत की ऐतिहासिक जीत में महत्वपूर्ण साबित हुई। इस मैच में मोहम्मद कैफ के साथ उनकी पार्टनरशिप अविस्मरणीय रही। इस जीत ने युवराज को भारतीय टीम का अहम हिस्सा बना दिया।
2007 का टी20 विश्व कप युवराज सिंह के करियर का सबसे यादगार टूर्नामेंट था। इस विश्व कप में युवराज ने धमाकेदार प्रदर्शन किया। लेकिन 19 सितंबर 2007 का दिन युवराज की जिंदगी और क्रिकेट इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
इंग्लैंड के खिलाफ सुपर-8 मैच में युवराज ने स्टुअर्ट ब्रॉड की एक ओवर में छह गेंदों पर छह छक्के लगाकर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। यह क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक क्षण था। हर्शल गिब्स के बाद युवराज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक ओवर में छह छक्के लगाने वाले दूसरे खिलाड़ी बने।
इस पारी में युवराज ने सिर्फ 12 गेंदों पर 50 रन बनाए जो टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे तेज अर्धशतक का रिकॉर्ड है। यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। उस ओवर में हर छक्का स्टेडियम के बाहर गया और पूरी दुनिया ने युवराज की ताकत को देखा।
इस विश्व कप में युवराज ने कुल 362 रन बनाए और उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। भारत ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर पहला टी20 विश्व कप जीता। युवराज इस जीत के हीरो थे और पूरे देश ने उनका सम्मान किया।

2011 का विश्व कप युवराज सिंह के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। इस विश्व कप में युवराज ने बल्ले और गेंद दोनों से शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 362 रन बनाए और 15 विकेट लिए। यह ऑलराउंड प्रदर्शन विश्व कप इतिहास में बेजोड़ था।
युवराज ने हर मैच में टीम के लिए अहम योगदान दिया:
फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ भी युवराज ने 21 रन बनाए और महेंद्र सिंह धोनी के साथ अहम साझेदारी की। भारत ने यह फाइनल जीता और 28 साल बाद विश्व कप अपने नाम किया। युवराज को प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। यह उनके करियर का शिखर था।
लेकिन बहुत कम लोग जानते थे कि इस पूरे टूर्नामेंट के दौरान युवराज एक गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उन्हें लगातार उल्टी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन उन्होंने अपनी तकलीफ को टीम पर हावी नहीं होने दिया।
2011 विश्व कप के बाद युवराज की हालत लगातार बिगड़ती गई। उन्हें लगातार थकान, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द हो रहा था। कई टेस्ट और जांच के बाद पता चला कि उन्हें मेडियास्टाइनल सेमिनोमा नामक कैंसर है। यह फेफड़ों के बीच एक दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर होता है।
यह खबर युवराज और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ा झटका था। एक तरफ वे विश्व कप जीतने की खुशी मना रहे थे तो दूसरी तरफ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का सामना कर रहे थे। डॉक्टरों ने उन्हें तुरंत इलाज की सलाह दी।
फरवरी 2012 में युवराज अमेरिका के इंडियाना में कैंसर सेंटर गए जहां उनका इलाज शुरू हुआ। उन्हें तीन चरणों में कीमोथेरेपी दी गई। यह इलाज बेहद कठिन और दर्दनाक था। कीमोथेरेपी के कारण उनके बाल झड़ गए, वजन कम हो गया और शारीरिक कमजोरी आ गई।
लेकिन युवराज ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मानसिक मजबूती और जीने की इच्छा से कैंसर से लड़ाई लड़ी। उनकी माँ शबनम सिंह हर वक्त उनके साथ रहीं। परिवार और दोस्तों के साथ ने उन्हें हिम्मत दी। तीन महीने के इलाज के बाद मार्च 2012 में डॉक्टरों ने घोषणा की कि युवराज कैंसर मुक्त हो गए हैं।

कैंसर से जीतने के बाद युवराज का अगला लक्ष्य क्रिकेट में वापसी करना था। यह आसान नहीं था क्योंकि कीमोथेरेपी ने उनके शरीर को बहुत कमजोर कर दिया था। लेकिन युवराज ने फिर से कड़ी मेहनत शुरू की। उन्होंने जिम में घंटों व्यायाम किया, नेट्स में प्रैक्टिस की और अपनी फिटनेस सुधारी।
सितंबर 2012 में युवराज घरेलू क्रिकेट में वापस लौटे। उन्होंने चैलेंजर्स ट्रॉफी में खेला और अच्छा प्रदर्शन किया। दिसंबर 2012 में उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में वापसी मिली। यह उनके और उनके फैंस के लिए बहुत भावुक क्षण था।
वापसी के बाद युवराज ने 2014 टी20 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 60 रन की पारी खेली। हालांकि भारत फाइनल में हार गया लेकिन युवराज ने साबित कर दिया कि वे अभी भी भारतीय क्रिकेट का अहम हिस्सा हैं।
2016 टी20 विश्व कप में भी युवराज ने अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 70 रन की तूफानी पारी खेली। इंग्लैंड के खिलाफ अर्धशतक बनाया। युवराज की वापसी की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा बनी।
युवराज सिंह इंडियन प्रीमियर लीग के सबसे महंगे और सफल खिलाड़ियों में से एक रहे हैं। 2008 में पहली आईपीएल नीलामी में किंग्स इलेवन पंजाब ने उन्हें 4.75 करोड़ डॉलर में खरीदा था। यह उस समय का सबसे बड़ा सौदा था।
आईपीएल में युवराज ने कई यादगार पारियां खेलीं। उन्होंने कई मैच अकेले दम पर जिताए। उनकी फील्डिंग और कभी-कभार की गेंदबाजी भी टीम के लिए फायदेमंद रही। हालांकि उन्हें आईपीएल का खिताब नहीं मिला लेकिन वे हमेशा टीम के अहम खिलाड़ी रहे।
युवराज सिंह ने अपना टेस्ट डेब्यू अक्टूबर 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ किया। हालांकि वे सीमित ओवरों के क्रिकेट में ज्यादा सफल रहे लेकिन टेस्ट क्रिकेट में भी उन्होंने कुछ यादगार प्रदर्शन किए।
युवराज ने कुल 40 टेस्ट मैच खेले जिसमें 1900 रन बनाए। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 169 रन था जो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ बनाया था। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 3 शतक और 11 अर्धशतक बनाए।
हालांकि टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 34 के आसपास रहा जो एक्सपेक्टेशन से कम था। चयनकर्ताओं को लगता था कि युवराज वनडे और टी20 के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं। इसलिए उन्हें टेस्ट टीम में ज्यादा मौके नहीं मिले। उनका आखिरी टेस्ट मैच 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ था।

युवराज सिंह ने 30 नवंबर 2016 को बॉलीवुड अभिनेत्री हेजल कीच से शादी की। उनकी शादी गोवा में एक शानदार समारोह में हुई। हेजल कीच एक ब्रिटिश-मॉरीशियन अभिनेत्री और मॉडल हैं जो बिग बॉस सीजन 7 में भी नजर आई थीं।
युवराज और हेजल की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है। दोनों की मुलाकात 2014 में हुई थी और धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया। युवराज ने बहुत रोमांटिक तरीके से हेजल को प्रपोज किया था। शादी के बाद दोनों बहुत खुश हैं और सोशल मीडिया पर अक्सर अपनी तस्वीरें शेयर करते रहते हैं।
कैंसर से अपनी लड़ाई जीतने के बाद युवराज ने कैंसर से लड़ रहे लोगों की मदद करने का फैसला किया। 2012 में उन्होंने यू विल फाउंडेशन (You We Can) की स्थापना की। यह संस्था कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाती है और गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराती है।
युवराज अक्सर कैंसर मरीजों से मिलते हैं और उन्हें हिम्मत देते हैं। वे कहते हैं कि अगर वे कैंसर को हरा सकते हैं तो कोई भी हरा सकता है। उनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है।

युवराज सिंह ने अपने शानदार करियर में कई रिकॉर्ड बनाए:
10 जून 2019 को युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक भावुक क्षण था। मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में युवराज ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का सबसे कठिन फैसला था।
संन्यास के समय युवराज की उम्र 37 साल थी। उन्होंने कुल 304 वनडे मैच खेले जिसमें 8701 रन बनाए। टी20 इंटरनेशनल में 58 मैचों में 1177 रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट में 40 मैचों में 1900 रन बनाए। उन्होंने तीनों फॉर्मेट में कुल 11778 अंतरराष्ट्रीय रन बनाए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में युवराज भावुक हो गए। उन्होंने अपने माता-पिता, कोचों, टीम के साथियों और फैंस का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि क्रिकेट ने उन्हें सब कुछ दिया और अब वे युवा खिलाड़ियों की मदद करना चाहते हैं।
संन्यास के बाद भी युवराज ने विदेशी लीग में खेलना जारी रखा। उन्होंने ग्लोबल टी20 कनाडा, टी10 लीग और रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज जैसे टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। 2021 में उन्होंने सभी तरह के क्रिकेट से पूर्ण संन्यास ले लिया।
युवराज सिंह एक आक्रामक बाएं हाथ के बल्लेबाज थे। वे किसी भी गेंदबाज को कभी भी अटैक कर सकते थे। उनके छक्के और चौके दर्शकों को रोमांचित कर देते थे। वे पावर हिटिंग के मास्टर थे और गेंद को बाउंड्री के पार भेजने में माहिर थे।
युवराज की फील्डिंग विश्व स्तरीय थी। वे मुख्य रूप से कवर और पॉइंट पर फील्डिंग करते थे। उनकी स्पीड और एथलेटिसिज्म बेजोड़ थी। वे डाइविंग कैच लेते थे और रन आउट करने में माहिर थे। कई मैचों में उनकी फील्डिंग ने भारत को जीत दिलाई।
बल्लेबाजी के अलावा युवराज बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी भी करते थे। हालांकि वे पार्ट टाइम बॉलर थे लेकिन उन्होंने कई अहम विकेट लिए। 2011 विश्व कप में उन्होंने 15 विकेट लिए थे जो उनकी बॉलिंग क्षमता को दर्शाते हैं।
युवराज के करियर में कुछ विवादास्पद क्षण भी रहे। 2017 में एक लाइव वीडियो सेशन के दौरान युवराज ने युजवेंद्र चहल के बारे में एक टिप्पणी की जो कुछ लोगों को आपत्तिजनक लगी। बाद में युवराज ने माफी मांगी और कहा कि उनका कोई बुरा इरादा नहीं था।
2007 में युवराज और हरभजन सिंह के बीच मैदान पर एक झगड़ा हुआ था। हालांकि बाद में दोनों ने इस मुद्दे को सुलझा लिया। कभी-कभी युवराज के फिटनेस और फॉर्म पर भी सवाल उठे लेकिन उन्होंने हर बार अपने प्रदर्शन से जवाब दिया।
कुछ आलोचकों का कहना था कि युवराज बड़े टूर्नामेंट के खिलाड़ी हैं और द्विपक्षीय सीरीज में उनका प्रदर्शन औसत रहता है। लेकिन यह सच है कि जब भी देश को उनकी जरूरत थी, युवराज ने कभी निराश नहीं किया।
क्रिकेट से संन्यास के बाद युवराज सिंह कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं। वे यू विल फाउंडेशन के माध्यम से कैंसर मरीजों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने युवराज सिंह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस नाम से एक क्रिकेट अकादमी भी शुरू की है जहां युवा क्रिकेटरों को ट्रेनिंग दी जाती है।
युवराज ने कई बिजनेस वेंचर्स में भी निवेश किया है। वे स्टार्टअप्स में एक्टिव इन्वेस्टर हैं। उन्होंने स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी और फिटनेस ब्रांड में भी निवेश किया है। वे विभिन्न ब्रांड्स के ब्रांड एंबेसडर भी हैं।
टेलीविजन पर युवराज को अक्सर क्रिकेट कमेंट्री करते हुए देखा जा सकता है। वे आईपीएल और अन्य टूर्नामेंट में एक्सपर्ट के रूप में अपनी राय देते हैं। उनकी कमेंट्री को दर्शक बहुत पसंद करते हैं क्योंकि वे अपने अनुभव और ज्ञान को शेयर करते हैं।
युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट के सबसे प्रतिभाशाली और प्रेरणादायक खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने अपने प्रदर्शन से लाखों लोगों को प्रेरित किया है। खासकर कैंसर से लड़कर वापस आने की उनकी कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है।
युवराज ने युवा खिलाड़ियों को यह सिखाया कि फिटनेस और फील्डिंग कितनी जरूरी है। उनसे पहले भारतीय टीम में फील्डिंग पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था। युवराज ने फील्डिंग का मानक ऊंचा किया।
उनके छह छक्कों का रिकॉर्ड और 2011 विश्व कप का प्रदर्शन हमेशा याद रखा जाएगा। वे भारतीय क्रिकेट इतिहास के महानतम ऑलराउंडरों में से एक हैं। उनका नाम कपिल देव, रवि शास्त्री और हार्दिक पांड्या जैसे दिग्गजों के साथ लिया जाता है।
युवराज की सबसे बड़ी विरासत यह है कि उन्होंने हार न मानने की प्रेरणा दी। जब उन्हें कैंसर हुआ तो सभी ने सोचा कि उनका करियर खत्म हो गया। लेकिन उन्होंने वापसी की और फिर से देश के लिए खेला। यह मानवीय इच्छाशक्ति की जीत थी।
युवराज सिंह की जीवनी एक प्रेरणादायक कहानी है। एक ऐसे खिलाड़ी की कहानी जिसने मैदान पर अपनी प्रतिभा से देश को गौरवान्वित किया और मैदान के बाहर जिंदगी से लड़कर सभी को प्रेरित किया।
छह छक्कों की यादगार पारी से लेकर 2011 विश्व कप जीताने तक, कैंसर से लड़ाई से लेकर मैदान पर वापसी तक – युवराज की यात्रा रोमांच, संघर्ष और सफलता से भरी है। उन्होंने साबित कर दिया कि जिंदगी में कुछ भी असंभव नहीं है।
आज भले ही युवराज क्रिकेट मैदान पर नहीं हैं लेकिन उनकी विरासत और प्रभाव हमेशा रहेगा। वे एक पूरी पीढ़ी के लिए हीरो हैं। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो जिंदगी में चुनौतियों का सामना कर रहा है।
युवराज सिंह को भारतीय क्रिकेट का शत-शत नमन। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे हमेशा भारतीय क्रिकेट के सबसे चमकते सितारों में से एक रहेंगे।
युवराज सिंह का पूरा नाम युवराज सिंह है। उनका जन्म 12 दिसंबर 1981 को चंडीगढ़, पंजाब में हुआ था। उनके पिता योगराज सिंह भी एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर थे।
युवराज सिंह ने 19 सितंबर 2007 को टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ स्टुअर्ट ब्रॉड की एक ओवर में छह लगातार छक्के लगाए थे। यह क्रिकेट इतिहास का सबसे यादगार क्षण था।
2011 विश्व कप में युवराज सिंह ने 362 रन बनाए और 15 विकेट लिए। उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। उनके शानदार ऑलराउंड प्रदर्शन ने भारत को विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई।
2011 विश्व कप के बाद युवराज को मेडियास्टाइनल सेमिनोमा नामक कैंसर का पता चला। फरवरी 2012 में उन्होंने अमेरिका में कीमोथेरेपी करवाई और मार्च 2012 में कैंसर मुक्त हो गए।
युवराज सिंह ने किंग्स इलेवन पंजाब से आईपीएल डेब्यू किया। 2008 में उन्हें 4.75 करोड़ डॉलर में खरीदा गया था जो उस समय का सबसे बड़ा सौदा था।
युवराज सिंह ने 30 नवंबर 2016 को बॉलीवुड अभिनेत्री हेजल कीच से शादी की। उनकी शादी गोवा में एक भव्य समारोह में हुई थी।
You We Can युवराज सिंह द्वारा 2012 में स्थापित एक फाउंडेशन है जो कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाता है और गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराता है।
युवराज सिंह ने 10 जून 2019 को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। उन्होंने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी।
युवराज सिंह ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में तीनों फॉर्मेट मिलाकर कुल 11778 रन बनाए। उन्होंने 304 वनडे, 58 टी20 और 40 टेस्ट मैच खेले।
युवराज सिंह को 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। 2014 में उन्हें अर्जुन अवार्ड मिला। इसके अलावा उन्हें 2007 और 2011 में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी मिला।
युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह हैं जो खुद एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर थे। उन्होंने भारत के लिए एक टेस्ट और छह वनडे मैच खेले थे।
टी20 इंटरनेशनल में सबसे तेज अर्धशतक का रिकॉर्ड युवराज सिंह के नाम है। उन्होंने 2007 में इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ 12 गेंदों पर 50 रन बनाए थे।
युवराज सिंह की फील्डिंग विश्व स्तरीय थी। वे मुख्य रूप से कवर और पॉइंट पर फील्डिंग करते थे। उनकी स्पीड, एथलेटिसिज्म और डाइविंग कैच बेजोड़ थे।
2007 टी20 विश्व कप में युवराज ने 362 रन बनाए और उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। उनकी छह छक्कों की पारी इस टूर्नामेंट का हाइलाइट थी।
युवराज सिंह ने चार वनडे विश्व कप (2003, 2007, 2011, 2015) और चार टी20 विश्व कप (2007, 2012, 2014, 2016) खेले। उन्होंने 2007 टी20 और 2011 वनडे विश्व कप जीतने में अहम भूमिका निभाई।
युवराज ने 40 टेस्ट मैच खेले जिसमें 1900 रन बनाए। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 169 रन था। हालांकि वे सीमित ओवरों के क्रिकेट में ज्यादा सफल रहे।
2015 में दिल्ली डेयरडेविल्स ने युवराज को 16 करोड़ रुपये में खरीदा था। यह उस समय आईपीएल इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा सौदा था।
युवराज एक आक्रामक बाएं हाथ के बल्लेबाज थे। वे पावर हिटिंग के मास्टर थे और किसी भी गेंदबाज को अटैक कर सकते थे। उनके छक्के और चौके दर्शकों को रोमांचित करते थे।
संन्यास के बाद युवराज You We Can Foundation के माध्यम से कैंसर मरीजों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने क्रिकेट अकादमी शुरू की है और बिजनेस वेंचर्स में निवेश कर रहे हैं।
युवराज की सबसे बड़ी उपलब्धियां 2011 विश्व कप जीतना और कैंसर से लड़कर वापसी करना है। उनकी छह छक्कों की पारी भी क्रिकेट इतिहास में अमर है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को गौरवान्वित किया।