Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124

कपिल देव भारतीय क्रिकेट के सबसे महान ऑलराउंडर और तेज़ गेंदबाज़ हैं। वे न केवल एक शानदार खिलाड़ी थे बल्कि एक प्रेरणादायक कप्तान भी थे जिन्होंने 1983 में भारत को पहला विश्व कप दिलाया। कपिल देव वह व्यक्ति हैं जिन्होंने भारतीय क्रिकेट में तेज़ गेंदबाजी की नींव रखी और साबित किया कि भारत भी विश्व स्तरीय तेज़ गेंदबाज़ पैदा कर सकता है।
अपने 16 साल के शानदार करियर में 131 टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए और 5248 रन बनाए। वे टेस्ट क्रिकेट में 5000 रन और 400 विकेट का दोहरा शतक लगाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। उनकी खेल भावना, नेतृत्व क्षमता और समर्पण ने उन्हें भारतीय क्रिकेट का एक महान आइकॉन बना दिया। 2002 में विजडन ने उन्हें भारतीय शताब्दी का क्रिकेटर चुना।
| विवरण | जानकारी |
| पूरा नाम | कपिल देव रामलाल निखंज |
| जन्म तिथि | 6 जनवरी 1959 |
| जन्म स्थान | चंडीगढ़, भारत |
| उम्र | 65 वर्ष (2024 में) |
| पिता का नाम | रामलाल निखंज |
| माता का नाम | राजकुमारी |
| पत्नी का नाम | रोमी भाटिया |
| बच्चे | अमिया देव (बेटी) |
| शिक्षा | डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ |
| खेल | क्रिकेट |
| बल्लेबाजी शैली | दाएं हाथ का बल्लेबाज़ |
| गेंदबाजी शैली | दाएं हाथ का तेज़ गेंदबाज़ |
| टेस्ट डेब्यू | 1978-79 बनाम पाकिस्तान |
| वनडे डेब्यू | 1978 बनाम पाकिस्तान |
| रिटायरमेंट | 1994 |
| टेस्ट मैच | 131 मैच |
| टेस्ट रन | 5248 रन |
| टेस्ट विकेट | 434 विकेट |
| वनडे मैच | 225 मैच |
| वनडे रन | 3783 रन |
| वनडे विकेट | 253 विकेट |
| प्रमुख उपलब्धि | 1983 विश्व कप विजेता कप्तान |
| सर्वोच्च स्कोर | 175* (वनडे में जिम्बाब्वे के खिलाफ) |
| पुरस्कार | पद्म श्री (1982), पद्म भूषण (1991), विजडन इंडियन क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी (2002) |

कपिल देव रामलाल निखंज का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़ में हुआ था। उनके पिता रामलाल निखंज एक लकड़ी और निर्माण के ठेकेदार थे और माता राजकुमारी गृहिणी थीं। कपिल का परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मोंटगोमरी (अब साहीवाल) से था। विभाजन के बाद उनका परिवार फाजिल्का में बस गया और बाद में चंडीगढ़ आ गया।
कपिल देव का बचपन बहुत साधारण परिवार में बीता। वे शुरू से ही खेल में रुचि रखते थे और खासकर क्रिकेट उन्हें बहुत पसंद था। 13 साल की उम्र में एक दिन चंडीगढ़ के सेक्टर की एक टीम में एक खिलाड़ी की कमी हो गई तो कपिल को मौका मिला। उन्होंने इतना शानदार प्रदर्शन किया कि वे टीम के नियमित सदस्य बन गए।
कपिल ने अपनी स्कूली शिक्षा डीएवी स्कूल, चंडीगढ़ से पूरी की और बाद में डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। 1971 में उन्होंने देश प्रेम आज़ाद के मार्गदर्शन में क्रिकेट की औपचारिक प्रशिक्षण शुरू किया। देश प्रेम आज़ाद ने कपिल की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें तराशा।
कपिल के माता-पिता चाहते थे कि वे पढ़ाई पर ध्यान दें लेकिन कपिल का मन तो क्रिकेट में लगा हुआ था। फिर भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और साथ ही क्रिकेट का अभ्यास भी किया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाया।
कपिल देव ने नवंबर 1975 में हरियाणा के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। उनका पहला मैच पंजाब के खिलाफ था। इस मैच में उन्होंने धमाकेदार शुरुआत की और छह विकेट लिए। उन्होंने पंजाब की टीम को सिर्फ 63 रन पर ढेर कर दिया और हरियाणा को जीत दिलाई।
अपने पहले सीजन (1975-76) में ही कपिल ने 30 मैचों में 121 विकेट लिए। यह उपलब्धि किसी नए खिलाड़ी के लिए असाधारण थी। उनके इस प्रदर्शन ने पूरे क्रिकेट जगत का ध्यान खींचा।
1976-77 सीजन में जम्मू और कश्मीर के खिलाफ उन्होंने 8 विकेट लेकर मैच जिताया। बंगाल के खिलाफ उन्होंने दूसरी पारी में सिर्फ 9 ओवर में 7 विकेट लेकर 20 रन दिए। उन्होंने बंगाल को 58 रन पर ऑल आउट कर दिया।
1977-78 सीजन में सर्विसेज के खिलाफ पहली पारी में उन्होंने 8 विकेट लिए। दूसरी पारी में 3 और विकेट लेकर उन्होंने अपना पहला 10 विकेट हॉल हासिल किया। इस शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें ईरानी ट्रॉफी, दिलीप ट्रॉफी और विल्स ट्रॉफी के लिए चुना गया।
घरेलू क्रिकेट में उनके लगातार शानदार प्रदर्शन ने उन्हें राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाई। केवल 18 साल की उम्र में वे भारतीय टीम के लिए चुने गए।
कपिल देव ने 1978-79 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। यह श्रृंखला तीन मैचों की थी जिसमें कपिल ने 7 विकेट लिए। हालांकि भारत यह श्रृंखला हार गया लेकिन कपिल के प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा। वे भारत के पहले असली तेज़ गेंदबाज़ थे।
कपिल की गेंदबाजी में जान थी। उनकी आउटस्विंगर बहुत खतरनाक थी और वे गेंद को तेज़ी से फेंकते थे। उनकी ऊर्जा और आक्रामकता भारतीय क्रिकेट में नई थी। वे खेल में एक नई ताजगी लेकर आए।
1979 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में कपिल ने खुद को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। उन्होंने इस श्रृंखला में दो बार पांच विकेट लिए। उनका प्रदर्शन बेहद प्रभावशाली था।
1979-80 में पाकिस्तान के खिलाफ छह टेस्ट मैचों की घरेलू श्रृंखला में कपिल ने धमाल मचा दिया। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में उन्होंने 69 रन बनाकर भारत को जीत दिलाई। चेन्नई के चेपॉक में उन्होंने 10 विकेट लेकर फिर से भारत को जीत दिलाई।
इन शुरुआती प्रदर्शनों ने साबित कर दिया कि कपिल देव भारतीय क्रिकेट का भविष्य हैं। वे तेजी से भारतीय गेंदबाजी आक्रमण के मुख्य स्तंभ बन गए।

1983 का विश्व कप कपिल देव के करियर का सबसे यादगार और महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस विश्व कप में भारत को कोई खास उम्मीद नहीं थी। वेस्टइंडीज दो बार की विजेता थी और सबसे मजबूत टीम मानी जाती थी। लेकिन कपिल की कप्तानी में भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया।
विश्व कप की शुरुआत भारत के लिए अच्छी रही। वेस्टइंडीज को हराकर भारत ने बड़ा उलटफेर किया। यह विश्व कप में वेस्टइंडीज की पहली हार थी। इसके बाद जिम्बाब्वे को भी हराया। लेकिन फिर ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज से हार गए।
अब भारत को सेमीफाइनल में जाने के लिए ऑस्ट्रेलिया और जिम्बाब्वे को हराना जरूरी था। 18 जून 1983 को टनब्रिज वेल्स के नेविल ग्राउंड में जिम्बाब्वे के खिलाफ भारत मुश्किल में फंस गया। भारत 17 रन पर 5 विकेट गंवा चुका था।
इस संकट में कपिल देव ने क्रीज़ संभाली। उन्होंने निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ मिलकर पारी संभाली। रोजर बिन्नी और मदन लाल ने उनका साथ दिया। कपिल ने अपना अर्धशतक 72 गेंदों में पूरा किया। लंच के बाद उन्होंने तेज़ी बढ़ाई और 100 गेंदों में शतक पूरा किया।
कपिल देव ने 138 गेंदों में नाबाद 175 रन बनाए। इसमें 16 चौके और 6 छक्के शामिल थे। यह वनडे क्रिकेट की सबसे महान पारियों में से एक मानी जाती है। इस पारी ने भारत को मैच जिताया और सेमीफाइनल में पहुंचाया।
सेमीफाइनल में भारत ने इंग्लैंड को हराया। 25 जून 1983 को लॉर्ड्स में फाइनल खेला गया। वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 286 रन बनाए। भारत के लिए यह बड़ा लक्ष्य था। लेकिन कपिल की टीम ने हार नहीं मानी। भारतीय गेंदबाजों ने शानदार प्रदर्शन किया और वेस्टइंडीज को 140 रन पर ऑल आउट कर दिया। मदन लाल, अमरनाथ और कपिल ने मिलकर वेस्टइंडीज को हराया।
भारत ने अपना पहला विश्व कप जीत लिया। कपिल देव ने ट्रॉफी उठाई और भारतीय क्रिकेट का इतिहास बदल दिया। इस जीत ने भारत में क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

1983 विश्व कप जीतने के बाद कपिल देव राष्ट्रीय नायक बन गए। लेकिन विश्व कप के बाद भारत ने वेस्टइंडीज से घर पर श्रृंखला 3-0 से हार दी। टेस्ट में भारत हार गया और वनडे में भी 5-0 से हार गया। इसके बाद कप्तानी सुनील गावस्कर को दे दी गई।
1987 में कपिल को फिर से कप्तानी मिली। उन्होंने भारत को 1987 विश्व कप के सेमीफाइनल तक पहुंचाया। लेकिन इंग्लैंड से हार गए। इसके बाद कपिल ने कप्तानी छोड़ दी लेकिन टीम के मुख्य खिलाड़ी बने रहे।
1988 में कपिल जोएल गार्नर को पीछे छोड़कर वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए। उनके करियर के अंत में 253 वनडे विकेट थे जो 1994 तक वसीम अकरम ने तोड़ा।
1990 में लॉर्ड्स में एक टेस्ट मैच में कपिल ने एडी हेमिंग्स की लगातार चार गेंदों पर छक्के मारे। यह दृश्य क्रिकेट इतिहास में प्रसिद्ध है। उन्होंने इस मैच में गेंदबाजी में भी शानदार प्रदर्शन किया।
1990-91 रणजी सीजन में हरियाणा सेमीफाइनल में पहुंचा। इस सीजन में चेतन शर्मा की गेंदबाजी और अमरजीत कैपी की बल्लेबाजी ने हरियाणा को आगे बढ़ाया।
1991-92 रणजी फाइनल में हरियाणा ने बॉम्बे को 355 रन के लक्ष्य से सिर्फ 3 रन पहले रोक दिया। कपिल ने 41 रन बनाए और गेंदबाजी में 3 विकेट लिए। यह हरियाणा का पहला और एकमात्र रणजी ट्रॉफी खिताब था।
1994 की शुरुआत में कपिल देव ने रिचर्ड हैडली का 431 टेस्ट विकेट का रिकॉर्ड तोड़ दिया। वे दुनिया में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बन गए। हालांकि 1999 में कोर्टनी वॉल्श ने उनका रिकॉर्ड तोड़ दिया।

कपिल देव का करियर असाधारण उपलब्धियों से भरा हुआ है। उन्होंने भारतीय और विश्व क्रिकेट में कई रिकॉर्ड बनाए जो आज भी याद किए जाते हैं।
| श्रेणी | रिकॉर्ड / उपलब्धि |
|---|---|
| खेले गए टेस्ट मैच | 131 मैच |
| कुल विकेट | 434 विकेट (रिटायरमेंट के समय विश्व रिकॉर्ड) |
| कुल रन | 5248 रन (औसत 31.05) |
| सर्वोच्च स्कोर | 163 रन |
| डबल अचीवमेंट | टेस्ट में 5000 रन और 400 विकेट लेने वाले एकमात्र खिलाड़ी |
| लगातार टेस्ट मैच | 131 टेस्ट बिना चोट के (विश्व रिकॉर्ड) |
| शतक / अर्धशतक | 8 शतक और 27 अर्धशतक |
| तेज़ गेंदबाजी विकेट | भारत के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट |
| श्रेणी | रिकॉर्ड / उपलब्धि |
|---|---|
| खेले गए वनडे मैच | 225 मैच |
| कुल विकेट | 253 विकेट |
| कुल रन | 3783 रन (औसत 23.79) |
| सर्वोच्च स्कोर | 175* (जिम्बाब्वे के खिलाफ, 1983 विश्व कप) |
| शतक / अर्धशतक | 1 शतक और 14 अर्धशतक |
| विश्व कप उपलब्धि | 1983 विश्व कप विजेता कप्तान |
| विकेट रिकॉर्ड | 1988 में वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ |
| ICC ऑलराउंडर रेटिंग | 631 (अब तक की सर्वोच्च रेटिंग) |
| फॉर्मेट | रिकॉर्ड |
|---|---|
| टेस्ट कप्तानी | 34 मैच – 4 जीत, 7 हार, 22 ड्रॉ, 1 टाई |
| वनडे कप्तानी | 74 मैच – 39 जीत, 29 हार |
| विश्व कप | 1983 विश्व कप विजेता कप्तान |
| अन्य उपलब्धि | 1985 वर्ल्ड चैम्पियनशिप ऑफ क्रिकेट विजेता टीम का हिस्सा |

कपिल देव ने 1994 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। रिटायरमेंट के समय वे विश्व में सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज़ थे।
कपिल ने अपने पूरे करियर में कभी भी चोट या फिटनेस की वजह से कोई टेस्ट मैच नहीं छोड़ा। उन्होंने लगातार 131 टेस्ट मैच खेले जो एक अद्भुत उपलब्धि है। यह उनके समर्पण और फिटनेस का प्रमाण है।
रिटायरमेंट के समय कपिल की उपलब्धियां अद्वितीय थीं। वे एकमात्र खिलाड़ी थे जिन्होंने टेस्ट में 5000 रन और 400 विकेट दोनों लिए थे। उन्होंने भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत किया।
रिटायरमेंट के बाद भी कपिल देव क्रिकेट से जुड़े रहे। 1999-2000 में उन्होंने भारतीय टीम के कोच के रूप में काम किया। हालांकि मैच फिक्सिंग विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
कपिल ने भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के निदेशक के रूप में भी काम किया। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया और भारतीय क्रिकेट के विकास में योगदान दिया।
कपिल देव ने कई व्यावसायिक उद्यमों में हिस्सा लिया। उन्होंने खेल उपकरण और फिटनेस से संबंधित कई कंपनियों के साथ काम किया। वे कई ब्रांड्स के ब्रांड एंबेसडर भी रहे।
कपिल देव गोल्फ के भी शौकीन हैं। वे नियमित रूप से गोल्फ खेलते हैं और कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। उन्होंने गोल्फ में भी अच्छा प्रदर्शन किया।
कपिल देव ने 1980 में रोमी भाटिया से शादी की। रोमी एक गृहिणी हैं और कपिल के करियर में उन्होंने हमेशा साथ दिया। दोनों ने चंडीगढ़ में परंपरागत तरीके से शादी की।
कपिल और रोमी की एक बेटी है जिसका नाम अमिया देव है। अमिया ने फैशन डिजाइनिंग में अपना करियर बनाया है। कपिल एक पारिवारिक व्यक्ति हैं और अपने परिवार के बहुत करीब हैं।
कपिल देव एक अनुशासित जीवनशैली जीते हैं। वे नियमित रूप से व्यायाम करते हैं और फिटनेस को बहुत महत्व देते हैं। उनकी फिटनेस आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है।
2020 में कपिल देव को दिल की समस्या हुई और उनका एंजियोप्लास्टी ऑपरेशन हुआ। लेकिन उन्होंने जल्दी ही ठीक होकर सामान्य जीवन शुरू कर दिया। उनकी इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच उनकी बड़ी ताकत है।
कपिल देव अपनी खेल भावना और सकारात्मक रवैये के लिए जाने जाते हैं। वे हमेशा मैदान पर आक्रामक लेकिन सम्मानजनक खिलाड़ी रहे। उन्होंने कभी विरोधी टीमों का अनादर नहीं किया।
कपिल एक प्राकृतिक नेता थे। उन्होंने अपने साथियों को हमेशा प्रेरित किया और कठिन समय में टीम को एकजुट रखा। 1983 विश्व कप में उनका नेतृत्व इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
कपिल की विनम्रता उनकी बड़ी खासियत थी। इतनी बड़ी सफलता के बाद भी वे हमेशा जमीन से जुड़े रहे। उन्होंने कभी घमंड नहीं किया और हमेशा युवाओं की मदद की।
कपिल देव एक कड़ी मेहनत करने वाले खिलाड़ी थे। वे अभ्यास में कभी कोताही नहीं करते थे। उनकी फिटनेस और सहनशक्ति किसी से कम नहीं थी। लगातार 131 टेस्ट मैच खेलना उनकी मेहनत का प्रमाण है।
कपिल देव का भारतीय क्रिकेट में योगदान अमूल्य है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी और पूरी दुनिया में इसकी पहचान बनाई।
कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट में तेज़ गेंदबाजी की नींव रखी। उनके पहले भारत में तेज़ गेंदबाज़ बहुत कम थे। कपिल ने साबित किया कि भारत भी विश्व स्तरीय तेज़ गेंदबाज़ पैदा कर सकता है। उनके बाद जवागल श्रीनाथ, जहीर खान और अन्य तेज़ गेंदबाज़ आए।
1983 विश्व कप की जीत ने भारतीय क्रिकेट को बदल दिया। इस जीत के बाद भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई। युवाओं को प्रेरणा मिली और क्रिकेट को पेशे के रूप में देखा जाने लगा।
कपिल देव पहले असली भारतीय ऑलराउंडर थे। उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से टीम को जिताया। उनके बाद भारत में कई ऑलराउंडर आए लेकिन कपिल जैसा कोई नहीं हुआ।
2021 में 1983 विश्व कप पर एक फिल्म बनाई गई जिसका नाम 83 था। इस फिल्म में रणवीर सिंह ने कपिल देव का किरदार निभाया। फिल्म ने उस ऐतिहासिक जीत को फिर से जीवित किया।
कपिल देव की कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है। एक साधारण परिवार से आकर विश्व क्रिकेट में अपनी पहचान बनाना आसान नहीं था। लेकिन कपिल ने मेहनत और समर्पण से यह कर दिखाया।
कपिल देव की विरासत आज भी जीवित है। भारतीय क्रिकेट में जो तेज़ गेंदबाजी की परंपरा है उसकी नींव कपिल ने रखी। मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह जैसे आधुनिक तेज़ गेंदबाज़ कपिल की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
कपिल देव की जीवन कहानी युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक है। उन्होंने साबित किया कि परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल हों, मेहनत और आत्मविश्वास से सब कुछ संभव है।
कपिल ने भारत में क्रिकेट को एक नई पहचान दी। 1983 से पहले भारत क्रिकेट में ज्यादा सफल नहीं था। कपिल की कप्तानी में विश्व कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट में एक नया युग शुरू हुआ।
कपिल देव ने ऑलराउंडर की अवधारणा को भारत में लोकप्रिय बनाया। उन्होंने दिखाया कि एक खिलाड़ी बल्ले और गेंद दोनों से टीम के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। आज भारत में कई युवा ऑलराउंडर बनने का सपना देखते हैं।
कपिल का व्यक्तित्व और उनकी सादगी भी प्रेरणादायक है। इतनी बड़ी सफलता के बाद भी वे विनम्र और जमीन से जुड़े रहे। उन्होंने हमेशा अपने देश और खेल को सर्वोपरि रखा।
कपिल देव भारतीय क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक हैं। उन्होंने न केवल अपने प्रदर्शन से बल्कि अपने नेतृत्व से भी भारतीय क्रिकेट को गौरवान्वित किया। 1983 विश्व कप जीतना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी जिसने भारतीय क्रिकेट की दिशा ही बदल दी।
कपिल देव की 434 टेस्ट विकेट की उपलब्धि आज भी भारतीय तेज़ गेंदबाजों के लिए एक मानक है। वे टेस्ट में 5000 रन और 400 विकेट दोनों लेने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। यह उनके ऑलराउंडर कौशल का प्रमाण है।
कपिल देव ने साबित किया कि नेतृत्व केवल रणनीति नहीं बल्कि प्रेरणा और आत्मविश्वास देने की क्षमता है। उन्होंने 1983 में अपनी टीम पर विश्वास किया और इतिहास रच दिया।
आज भी कपिल देव युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि मेहनत, समर्पण और सकारात्मक सोच से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। कपिल देव का नाम हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा रहेगा।
कपिल देव भारत के महानतम ऑलराउंडर और तेज़ गेंदबाज़ हैं जिन्होंने 1983 में भारत को पहला विश्व कप दिलाया। उन्होंने 131 टेस्ट में 434 विकेट और 5248 रन बनाए।
कपिल देव का जन्म 6 जनवरी 1959 को चंडीगढ़, भारत में हुआ था।
कपिल देव ने अपने करियर में 131 टेस्ट मैचों में 434 विकेट लिए जो रिटायरमेंट के समय विश्व रिकॉर्ड था।
कपिल देव 1983 विश्व कप में भारतीय टीम के कप्तान थे और उन्होंने भारत को पहली बार विश्व कप जीताया। उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ नाबाद 175 रन भी बनाए।
कपिल देव का वनडे में सर्वोच्च स्कोर 175 रन नाबाद है जो उन्होंने 1983 विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ बनाया था।
कपिल देव की पत्नी का नाम रोमी भाटिया है। उनकी शादी 1980 में हुई थी।
कपिल देव को अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, विजडन इंडियन क्रिकेटर ऑफ द सेंचुरी और आईसीसी हॉल ऑफ फेम से सम्मानित किया गया।
कपिल देव ने वर्ष 1994 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया।
कपिल देव का टेस्ट क्रिकेट में सर्वोच्च स्कोर 163 रन है।
कपिल देव ने 225 वनडे मैच खेले और 3783 रन बनाए तथा 253 विकेट लिए।
कपिल देव दाएं हाथ के तेज़ मध्यम गेंदबाज़ थे जो आउटस्विंग गेंदबाजी में माहिर थे।
हां, कपिल देव 1999 से 2000 तक भारतीय क्रिकेट टीम के कोच रहे।
कपिल देव टेस्ट क्रिकेट में 5000 रन और 400 विकेट दोनों लेने वाले दुनिया के एकमात्र खिलाड़ी हैं।
कपिल देव ने हरियाणा के लिए घरेलू क्रिकेट खेला और 1991-92 में रणजी ट्रॉफी जिताई।
2021 में आई फिल्म 83 में कपिल देव का किरदार अभिनेता रणवीर सिंह ने निभाया।
कपिल देव की एक बेटी है जिसका नाम अमिया देव है।
कपिल देव ने 1978-79 में पाकिस्तान के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया।
कपिल देव की सबसे बड़ी उपलब्धि 1983 में भारत को विश्व कप जिताना है।
कपिल देव ने 34 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की।
कपिल देव को भारत के महानतम ऑलराउंडर, 1983 विश्व कप विजेता कप्तान और भारतीय तेज़ गेंदबाजी के जनक के रूप में याद किया जाता है।