Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124

क्रांति गौड़ का जीवन परिचय – क्रांति गौड़ भारतीय महिला क्रिकेट की एक उभरती हुई स्टार हैं जिन्होंने बेहद कम समय में अपनी प्रतिभा से सबका दिल जीत लिया है। 11 अगस्त 2003 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के छोटे से गांव घुवारा में जन्मी क्रांति ने अपनी मेहनत और समर्पण से गांव की गलियों से लेकर विश्व कप के मैदान तक का सफर तय किया है।
क्रांति गौड़ एक दाएं हाथ की तेज़ मध्यम गेंदबाज़ हैं जो अपनी इनस्विंग गेंदबाजी और तेज़ बाउंसर के लिए जानी जाती हैं। 2025 में उन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के साथ विश्व कप जीता और अपने देश का नाम रोशन किया। उनकी कहानी हर उस युवा लड़की के लिए प्रेरणा है जो क्रिकेट खेलने का सपना देखती है।
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से आने वाली क्रांति ने बहुत सी कठिनाइयों का सामना किया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज वे भारतीय महिला क्रिकेट की पहचान बन चुकी हैं और लाखों युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं।
| विवरण | जानकारी |
| पूरा नाम | क्रांति गौड़ |
| जन्म तिथि | 11 अगस्त 2003 |
| जन्म स्थान | घुवारा, छिंदवाड़ा जिला, मध्य प्रदेश, भारत |
| उम्र | 21 वर्ष (2024 में) |
| पिता का नाम | मुन्ना सिंह गौड़ (पूर्व पुलिस कांस्टेबल) |
| माता का नाम | गृहिणी |
| भाई-बहन | 6 भाई-बहन (सबसे छोटी) |
| समुदाय | आदिवासी समुदाय |
| गृहनगर | छतरपुर, मध्य प्रदेश |
| खेल | क्रिकेट |
| बल्लेबाजी शैली | दाएं हाथ की बल्लेबाज़ |
| गेंदबाजी शैली | दाएं हाथ की तेज़ मध्यम गेंदबाज़ |
| भूमिका | तेज़ गेंदबाज़ और ऑलराउंडर |
| घरेलू टीम | मध्य प्रदेश महिला क्रिकेट टीम |
| WPL टीम | UP Warriorz (₹10 लाख में खरीदी गई) |
| ODI डेब्यू | 11 मई 2025 बनाम श्रीलंका |
| T20I डेब्यू | 2025 |
| प्रमुख उपलब्धि | 2025 महिला विश्व कप विजेता |
| सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी | 6/52 (ODI में इंग्लैंड के खिलाफ) |
| कोच | राजीव बिलथरे (बचपन के कोच) |
| पुरस्कार | मध्य प्रदेश सरकार से ₹1 करोड़ (2025) |

क्रांति गौड़ का जन्म 11 अगस्त 2003 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के घुवारा नामक छोटे से गांव में हुआ। उनका गांव बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है जो खजुराहो के पास है। क्रांति आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और उनका परिवार बहुत साधारण पृष्ठभूमि से आता है।
क्रांति के पिता मुन्ना सिंह गौड़ मध्य प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे। हालांकि 2011-12 में चुनाव ड्यूटी के दौरान कथित लापरवाही के आरोप में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद परिवार को बहुत आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। क्रांति की मां एक गृहिणी हैं जिन्होंने परिवार को संभालने में बड़ी भूमिका निभाई।
क्रांति छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके तीन भाई और तीन बहनें हैं। उनके सबसे बड़े भाई मयंक सिंह ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उनके भाई-बहनों ने हमेशा उनका साथ दिया।
बचपन में क्रांति गांव में लड़कों के साथ टेनिस बॉल क्रिकेट खेला करती थीं। पड़ोसी और रिश्तेदार उन्हें लड़कों के साथ खेलने के लिए टोकते थे लेकिन क्रांति ने कभी हार नहीं मानी। वे तेज़ दौड़ती थीं और गेंद को तेज़ी से फेंकती थीं। उनकी फुर्ती और खेल कौशल सबको प्रभावित करता था।
परिवार की माली हालत खराब होने के कारण कई बार उन्हें खाने-पीने और ट्रेनिंग के लिए पैसों की कमी होती थी। लेकिन क्रांति ने कभी इन चीजों को अपनी राह में बाधा नहीं बनने दिया। वे अपने सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प थीं।

क्रांति गौड़ की क्रिकेट यात्रा की शुरुआत बेहद दिलचस्प है। 2017 में जब वे केवल 14 साल की थीं, घुवारा में एक स्थानीय विधायक कप टूर्नामेंट चल रहा था। एक लड़कियों की टीम में एक खिलाड़ी की कमी थी। किसी ने क्रांति से पूछा कि क्या वे क्रिकेट खेलती हैं। क्रांति ने हां कहा और मैच में उतर गईं।
यह उनके जीवन का पहला लेदर बॉल मैच था। इससे पहले वे केवल टेनिस बॉल से खेलती थीं। लेकिन इस मैच में क्रांति ने कमाल कर दिया। उन्होंने 3 विकेट लिए और 25 रन बनाए। उनके प्रदर्शन से सब हैरान थे और उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब मिला।
इस मैच में क्रांति की प्रतिभा को छतरपुर जिला क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव और सागर डिवीजन के कोच राजीव बिलथरे ने देखा। वे क्रांति की तेज़ गेंदबाजी और एथलेटिक क्षमता से बेहद प्रभावित हुए। राजीव बिलथरे ने क्रांति को ट्रेनिंग देने का फैसला किया।
राजीव बिलथरे ने क्रांति की तेज़ गेंदबाजी को और निखारा। उन्होंने क्रांति को इनस्विंग गेंदबाजी सिखाई और बाउंसर डालना सिखाया। क्रांति की स्पीड पहले से ही अच्छी थी लेकिन कोच ने उन्हें तकनीक सिखाई। साथ ही उन्होंने क्रांति की बल्लेबाजी पर भी काम किया और उन्हें V में मारना सिखाया।
ट्रेनिंग के दौरान क्रांति को कई बार अपने कोच के घर में रहना पड़ता था क्योंकि उनके परिवार को कई बार जगह बदलनी पड़ती थी। कोच राजीव और उनके परिवार ने क्रांति का बहुत सपोर्ट किया। क्रांति ने अपनी फिटनेस पर बहुत काम किया और एक बेहतरीन ऑलराउंडर बनने की कोशिश की।
क्रांति गौड़ ने मध्य प्रदेश महिला क्रिकेट टीम के लिए विभिन्न आयु वर्गों में खेला। उन्होंने अंडर-19, अंडर-23 और सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व किया। 2023-24 में उन्होंने मध्य प्रदेश की सीनियर टीम के लिए डेब्यू किया।
2024-25 सीजन क्रांति के करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया। सीनियर वुमेंस वन डे ट्रॉफी में क्रांति ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 17 विकेट लिए जो बहुत प्रभावशाली था।
फाइनल मैच बंगाल के खिलाफ था। यह मैच मध्य प्रदेश के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। क्रांति गौड़ ने इस फाइनल में कमाल का प्रदर्शन किया। उन्होंने सिर्फ 25 रन देकर 4 विकेट लिए। उनमें से एक विकेट भारतीय विकेटकीपर ऋचा घोष का भी था।
क्रांति के इस शानदार प्रदर्शन से मध्य प्रदेश ने सीनियर वुमेंस वन डे ट्रॉफी जीत ली। यह मध्य प्रदेश महिला क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी। क्रांति की गेंदबाजी ने पूरे देश का ध्यान खींचा।
क्रांति की खासियत यह थी कि वे गेंद को दोनों तरफ घुमा सकती थीं। उनकी इनस्विंग बहुत खतरनाक थी और बाउंसर से बल्लेबाज़ों को परेशानी होती थी। उनकी स्पीड भी अच्छी थी जो मध्यम तेज़ थी। साथ ही वे बल्ले से भी कुछ रन जोड़ लेती थीं जो टीम के लिए फायदेमंद था।

2024 में क्रांति गौड़ को वुमेंस प्रीमियर लीग (WPL) में मुंबई इंडियंस के लिए नेट बॉलर के रूप में चुना गया। यह उनके करियर का एक बड़ा मोड़ था। नेट बॉलर के रूप में उन्हें मुंबई इंडियन्स की टीम के साथ ट्रेनिंग करने का मौका मिला।
नेट बॉलर के रूप में क्रांति को WPL के माहौल को समझने का मौका मिला। उन्होंने विश्व की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ ट्रेनिंग की। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्हें बड़े मैचों का अनुभव मिला।
दिसंबर 2024 में WPL 2025 की नीलामी हुई। UP Warriorz ने क्रांति गौड़ को उनकी बेस प्राइस ₹10 लाख में खरीद लिया। यह क्रांति के करियर का सबसे बड़ा पल था। हालांकि उनके पास उस समय तक कोई सीनियर T20 अनुभव नहीं था लेकिन UP Warriorz ने उनकी प्रतिभा पर भरोसा किया।
UP Warriorz के COO क्षेमल वेनगांकर ने कहा कि क्रांति की गेंद को दोनों तरफ घुमाने की क्षमता और तेज़ बाउंसर ने उन्हें प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि क्रांति में बहुत संभावना है और वे भविष्य की स्टार बन सकती हैं।
WPL 2025 में क्रांति ने 8 मैच खेले और 6 विकेट लिए। उनकी इकॉनमी रेट 9.45 थी। उनका सबसे यादगार प्रदर्शन दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ आया जब उन्होंने 4 विकेट लेकर सिर्फ 25 रन दिए।
इस मैच में क्रांति का पहला विकेट ऑस्ट्रेलिया की महान बल्लेबाज़ मेग लैनिंग का था। क्रांति ने मेग लैनिंग को क्लीन बोल्ड किया। यह क्रांति के करियर का सबसे बड़ा विकेट था। इस प्रदर्शन के बाद क्रांति WPL इतिहास में इस्सी वोंग के बाद चार विकेट हॉल लेने वाली दूसरी सबसे युवा खिलाड़ी बन गईं।
WPL में अपने शानदार प्रदर्शन के बाद क्रांति गौड़ को अप्रैल 2025 में भारतीय राष्ट्रीय टीम में रिप्लेसमेंट प्लेयर के रूप में चुना गया। उन्हें श्रीलंका ट्राई-नेशन सीरीज के लिए कश्वी गौतम की जगह टीम में शामिल किया गया।
11 मई 2025 को क्रांति गौड़ ने श्रीलंका के खिलाफ ट्राई-सीरीज के फाइनल में अपना ODI डेब्यू किया। यह उनके जीवन का सबसे बड़ा दिन था। हालांकि डेब्यू में उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का अनुभव मिला।
जुलाई 2025 में भारतीय महिला टीम ने इंग्लैंड का दौरा किया। यह श्रृंखला तीन ODI मैचों की थी। क्रांति इस श्रृंखला का हिस्सा थीं और उन्होंने यहां अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया।
22 जुलाई 2025 को चेस्टर-ले-स्ट्रीट में तीसरा और आखिरी ODI खेला गया। यह मैच श्रृंखला का निर्णायक मैच था। क्रांति गौड़ ने इस मैच में इतिहास रच दिया। उन्होंने 52 रन देकर 6 विकेट लिए।
यह प्रदर्शन इंग्लैंड में किसी विजिटिंग गेंदबाज़ द्वारा महिला ODI में तीसरा सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आंकड़ा था। क्रांति ने नैट स्काइवर-ब्रंट, लॉरेन बेल जैसी इंग्लैंड की प्रमुख बल्लेबाजों को आउट किया। उनके इस शानदार प्रदर्शन से भारत ने मैच 13 रन से जीत लिया और श्रृंखला 2-1 से अपने नाम की।
क्रांति ODI में 6 विकेट लेने वाली सबसे युवा भारतीय तेज़ गेंदबाज़ बन गईं। वे यह उपलब्धि हासिल करने वाली चौथी भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। पूरी श्रृंखला में उन्होंने 9 विकेट लिए जिनकी औसत 15.11 थी। उनके इस प्रदर्शन से पूरी दुनिया में उनकी पहचान बनी।

2025 का महिला विश्व कप क्रांति गौड़ के करियर का सबसे बड़ा टूर्नामेंट था। यह उनका पहला विश्व कप था और भारत के लिए भी यह बेहद महत्वपूर्ण था।
क्रांति इस टूर्नामेंट में भारत की मुख्य गेंदबाजी आक्रमण का हिस्सा थीं। उन्होंने पावरप्ले में विकेट लेने की जिम्मेदारी निभाई। उनकी इनस्विंग गेंदबाजी और बाउंसर विरोधी टीमों के लिए मुश्किल थे।
पूरे टूर्नामेंट में क्रांति ने 8 मैचों में 9 विकेट लिए। उनकी औसत 40.11 थी। पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 3 विकेट लेकर प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब जीता। इस प्रदर्शन ने साबित किया कि क्रांति बड़े मैचों में प्रदर्शन कर सकती हैं।
सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्रांति ने ऑस्ट्रेलिया की कप्तान एलिसा हीली को आउट किया। यह विश्व कप में एलिसा हीली को क्रांति द्वारा चौथी बार आउट करना था। क्रांति की गेंदबाजी ने भारत को सेमीफाइनल जिताने में मदद की।
2 नवंबर 2025 को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में फाइनल खेला गया। भारत का सामना दक्षिण अफ्रीका से था। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 299 रन बनाए। क्रांति ने फाइनल में केवल 3 ओवर फेंके और 16 रन दिए। हालांकि विकेट नहीं मिला लेकिन उन्होंने अपना योगदान दिया।
भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रन से हराकर अपना पहला महिला विश्व कप जीत लिया। क्रांति गौड़ विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा बनीं। यह उनके जीवन का सबसे बड़ा पल था। मात्र 22 साल की उम्र में विश्व कप जीतना क्रांति के लिए सपने जैसा था।

विश्व कप जीतने के बाद क्रांति गौड़ को कई सम्मान और पुरस्कार मिले। मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें ₹1 करोड़ का नकद पुरस्कार दिया। यह राशि उनके लिए और उनके परिवार के लिए बहुत बड़ी थी।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने क्रांति को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि क्रांति मध्य प्रदेश की बेटी हैं और पूरा प्रदेश उन पर गर्व करता है। उन्होंने क्रांति के संघर्ष और सफलता की कहानी की प्रशंसा की।
क्रांति को उनके गृहनगर छतरपुर में भव्य स्वागत दिया गया। हजारों लोग उन्हें देखने के लिए सड़कों पर उतर आए। स्कूली बच्चों ने उनका स्वागत किया और उन्हें फूलों की माला पहनाई। यह दृश्य बेहद भावुक था।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने भी विश्व कप जीतने वाली पूरी टीम को पुरस्कृत किया। क्रांति सहित सभी खिलाड़ियों को नकद इनाम दिया गया।
क्रांति गौड़ की गेंदबाजी उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वे दाएं हाथ की तेज़ मध्यम गेंदबाज़ हैं। उनकी मुख्य विशेषताएं हैं:
क्रांति एक उपयोगी बल्लेबाज़ भी हैं। वे निचले क्रम में बल्लेबाजी करती हैं और कुछ त्वरित रन बनाने में सक्षम हैं। उनके कोच ने उन्हें V में मारना सिखाया है जो बहुत प्रभावी है।
क्रांति एक बेहतरीन फील्डर भी हैं। उनकी फिटनेस बहुत अच्छी है और वे तेज़ दौड़ती हैं। वे ग्राउंड में कहीं भी फील्ड कर सकती हैं।
क्रांति गौड़ की सफलता की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। पिता के सस्पेंशन के बाद परिवार को बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ीं। कई बार खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे।
क्रिकेट की ट्रेनिंग के लिए पैसे जुटाना बहुत मुश्किल था। किट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। कई बार क्रांति को पुराने उपकरणों से ट्रेनिंग करनी पड़ती थी। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
गांव में लड़कियों का क्रिकेट खेलना आसान नहीं था। समाज में कई लोग थे जो लड़कियों के क्रिकेट खेलने को गलत मानते थे। क्रांति को कई बार टोका गया लेकिन उन्होंने अपने सपने को नहीं छोड़ा।
ट्रेनिंग के लिए क्रांति को अपने गांव से दूर जाना पड़ता था। कई बार उन्हें अपने कोच के घर में रहना पड़ता था। परिवार से दूर रहना उनके लिए मुश्किल था लेकिन क्रिकेट के लिए उन्होंने यह कुर्बानी दी।
बावजूद इन सभी चुनौतियों के क्रांति ने अपने सपने को पूरा किया। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो मुश्किलों से लड़ रहा है।
क्रांति गौड़ एक बहुत ही सरल और विनम्र व्यक्ति हैं। वे अपने परिवार के बहुत करीब हैं। विश्व कप जीतने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपने परिवार को फोन किया।
क्रांति को अपने सबसे बड़े भाई मयंक सिंह से बहुत प्यार है। मयंक ने ही उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। क्रांति कहती हैं कि उनके भाई ने हमेशा उनका साथ दिया।
क्रांति अपने कोच राजीव बिलथरे को अपना मेंटर मानती हैं। वे कहती हैं कि कोच ने न केवल क्रिकेट सिखाया बल्कि जीवन के मूल्य भी सिखाए। कोच और उनके परिवार ने मुश्किल समय में क्रांति का साथ दिया।
क्रांति को अपने गांव से बहुत लगाव है। वे कहती हैं कि चाहे वे कितनी भी सफल हो जाएं, वे अपनी जड़ों को नहीं भूलेंगी। वे अपने गांव की लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं।
क्रांति फिटनेस को बहुत महत्व देती हैं। वे नियमित रूप से जिम जाती हैं और अपने आहार का ध्यान रखती हैं। वे मानती हैं कि फिटनेस किसी भी खिलाड़ी के लिए सबसे जरूरी है।
क्रांति गौड़ का सफर अभी शुरू ही हुआ है। वे भविष्य में भारतीय महिला क्रिकेट की मुख्य गेंदबाज़ बनना चाहती हैं। उनका सपना है कि वे लंबे समय तक भारत के लिए खेलें और टीम को कई और जीत दिलाएं।
क्रांति अपनी बल्लेबाजी पर और काम करना चाहती हैं। वे एक पूर्ण ऑलराउंडर बनना चाहती हैं जो बल्ले और गेंद दोनों से टीम की मदद कर सके।
क्रांति अपने गांव और मध्य प्रदेश में क्रिकेट को बढ़ावा देना चाहती हैं। वे ग्रामीण क्षेत्रों में क्रिकेट अकादमी खोलना चाहती हैं जहां गरीब लड़कियां मुफ्त में क्रिकेट सीख सकें।
क्रांति का सपना है कि एक दिन वे भारतीय टीम की कप्तान बनें। वे मानती हैं कि अभी उन्हें बहुत कुछ सीखना है लेकिन वे मेहनत करके अपने सपने को पूरा करेंगी।
क्रांति गौड़ की कहानी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने साबित किया कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, मेहनत और दृढ़ संकल्प से सब कुछ संभव है। गांव की एक साधारण लड़की से विश्व कप विजेता बनना आसान नहीं था लेकिन क्रांति ने यह कर दिखाया।
क्रांति युवा लड़कियों से कहती हैं कि समाज की परवाह न करें और अपने सपनों का पीछा करें। उनका मानना है कि खेल में लड़कियां लड़कों से कम नहीं हैं। अगर मेहनत की जाए तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
क्रांति ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों के लिए विशेष संदेश देती हैं। वे कहती हैं कि गांव से आना कोई कमजोरी नहीं है बल्कि यह आपकी ताकत है। गांव में सीखी गई मेहनत और सादगी आपको सफल बना सकती है।
क्रांति माता-पिता से अपील करती हैं कि वे अपनी बेटियों को खेल खेलने का मौका दें। खेल न केवल शारीरिक विकास करता है बल्कि व्यक्तित्व भी निखारता है। लड़कियों को भी लड़कों की तरह समान अवसर मिलने चाहिए।
क्रांति गौड़ ने बहुत कम समय में भारतीय महिला क्रिकेट में अपनी जगह बना ली है। वे नई पीढ़ी की तेज़ गेंदबाजों में से एक हैं जो भारतीय गेंदबाजी आक्रमण को मजबूत बना रही हैं।
क्रांति ने ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली लड़कियों के लिए रास्ता दिखाया है। उनकी सफलता ने साबित किया कि बड़े शहरों से आना जरूरी नहीं है। गांव की लड़कियां भी राष्ट्रीय टीम में खेल सकती हैं।
क्रांति की कहानी से प्रेरित होकर मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में कई लड़कियां क्रिकेट खेलने लगी हैं। क्रिकेट अकादमियों में लड़कियों की संख्या बढ़ी है। यह भारतीय महिला क्रिकेट के लिए बहुत अच्छा संकेत है।
क्रांति ने तेज़ गेंदबाजी में एक नया मानक स्थापित किया है। उनकी इनस्विंग गेंदबाजी और आक्रामक शैली युवा गेंदबाजों के लिए प्रेरणा है। वे भविष्य में भारतीय गेंदबाजी की धुरी बन सकती हैं।
क्रांति गौड़ की कहानी संघर्ष, मेहनत और सफलता की एक अद्भुत मिसाल है। मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव से आकर विश्व कप जीतना कोई आसान काम नहीं था। लेकिन क्रांति ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से यह असंभव को संभव कर दिखाया।
क्रांति गौड़ ने साबित किया कि सफलता के लिए महंगी सुविधाओं की नहीं बल्कि मेहनत और समर्पण की जरूरत होती है। उन्होंने आर्थिक कठिनाइयों, सामाजिक बाधाओं और हर मुश्किल को पार किया और अपने सपने को साकार किया।
मात्र 21 साल की उम्र में विश्व कप जीतना क्रांति के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि है। लेकिन यह केवल शुरुआत है। उनके आगे एक लंबा और सफल करियर है। वे भविष्य में भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे बड़ी स्टार बन सकती हैं।
क्रांति गौड़ की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा है। उनका जीवन सिखाता है कि अगर सपने बड़े हों, मेहनत सच्ची हो और इरादे पक्के हों तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। क्रांति गौड़ का नाम हमेशा भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा रहेगा।
क्रांति गौड़ भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तेज़ गेंदबाज़ हैं जिन्होंने 2025 में भारत को विश्व कप जिताने में अहम भूमिका निभाई। वे मध्य प्रदेश से हैं।
क्रांति गौड़ का जन्म 11 अगस्त 2003 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के घुवारा गांव में हुआ था।
क्रांति गौड़ दाएं हाथ की तेज़ मध्यम गेंदबाज़ हैं जो इनस्विंग गेंदबाजी और तेज़ बाउंसर के लिए जानी जाती हैं।
क्रांति गौड़ ने 11 मई 2025 को श्रीलंका के खिलाफ अपना ODI डेब्यू किया।
क्रांति गौड़ का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 6 विकेट देकर 52 रन है जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 2025 में लिया।
क्रांति गौड़ महिला प्रीमियर लीग में UP Warriorz टीम के लिए खेलती हैं। उन्हें 2024 की नीलामी में 10 लाख रुपये में खरीदा गया था।
क्रांति गौड़ के पिता का नाम मुन्ना सिंह गौड़ है। वे मध्य प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे।
2025 महिला विश्व कप जीतने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने क्रांति गौड़ को 1 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार दिया।
क्रांति गौड़ की सबसे बड़ी उपलब्धि 2025 में भारतीय महिला क्रिकेट टीम के साथ विश्व कप जीतना है।
क्रांति गौड़ ने 2017 में एक स्थानीय टूर्नामेंट से क्रिकेट खेलना शुरू किया जहां कोच राजीव बिलथरे ने उनकी प्रतिभा को पहचाना।
क्रांति गौड़ के कोच राजीव बिलथरे हैं जो छतरपुर जिला क्रिकेट एसोसिएशन से जुड़े हुए हैं।
क्रांति गौड़ की उम्र 21 वर्ष है, यह आंकड़ा 2024 के अनुसार है।
क्रांति गौड़ आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और उनका सफर प्रेरणादायक है।
2024-25 सीनियर महिला वन डे ट्रॉफी में क्रांति गौड़ ने 17 विकेट लेकर मध्य प्रदेश को खिताब जिताया।
WPL 2025 में क्रांति गौड़ ने दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ 25 रन देकर 4 विकेट लिए।
क्रांति गौड़ ने WPL में ऑस्ट्रेलिया की दिग्गज बल्लेबाज़ मेग लैनिंग को क्लीन बोल्ड किया।
क्रांति गौड़ घरेलू क्रिकेट में मध्य प्रदेश महिला क्रिकेट टीम के लिए खेलती हैं।
क्रांति गौड़ का सपना भविष्य में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान बनना है।
2025 के इंग्लैंड दौरे में क्रांति गौड़ ने एकदिवसीय श्रृंखला में कुल 9 विकेट लिए।
क्रांति गौड़ को गांव से विश्व कप तक के संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक सफर के लिए याद किया जाता है।