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भारतीय क्रिकेट में हरभजन सिंह का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा है। इसके अलावा, उन्हें भज्जी और टर्बनेटर के प्यारे नामों से जाना जाता है। साथ ही, वे भारत के सबसे सफल ऑफ स्पिन गेंदबाजों में से एक हैं। हालांकि, उनकी यात्रा बहुत कठिन रही। फिर भी, उन्होंने कभी हार नहीं मानी और इतिहास रच दिया।
इसके अतिरिक्त, हरभजन की कहानी जालंधर के एक साधारण परिवार से शुरू होती है। वास्तव में, जहां पिता ने एक छोटे स्तर पर क्रिकेट खेला था। लेकिन आज, हरभजन भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में गिने जाते हैं। दरअसल, 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनके प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेट का इतिहास बदल दिया। इसलिए, उनकी जीवनी हर युवा के लिए प्रेरणा है।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | हरभजन सिंह प्लाहा |
| उपनाम | भज्जी, टर्बनेटर |
| जन्म तिथि | 3 जुलाई 1980 |
| जन्म स्थान | जालंधर (जुल्लुंदर), पंजाब, भारत |
| उम्र | 45 वर्ष (दिसंबर 2025 तक) |
| ऊंचाई | 5 फीट 11 इंच (180 सेमी) |
| बल्लेबाजी शैली | दाएं हाथ के बल्लेबाज (निचला क्रम) |
| गेंदबाजी शैली | दाएं हाथ के ऑफ स्पिन गेंदबाज |
| भूमिका | ऑफ स्पिन गेंदबाज |
| पिता का नाम | सरदार सरदेव सिंह प्लाहा (व्यवसायी) |
| माता का नाम | अवतार कौर |
| बहनें | अविवाहित बहनें (परिवार का इकलौता बेटा) |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी का नाम | गीता बसरा (अभिनेत्री, विवाह 29 अक्टूबर 2015) |
| संतान | हिनाया हीर प्लाहा (बेटी), जोवन वीर सिंह प्लाहा (बेटा) |
| धर्म | सिख धर्म |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| घरेलू टीम | पंजाब |
| IPL टीमें | मुंबई इंडियंस (2008-2017), चेन्नई सुपर किंग्स (2018-2020), कोलकाता नाइट राइडर्स (2021) |
| अंतरराष्ट्रीय शुरुआत | टेस्ट – 1 मार्च 1998, वनडे – अप्रैल 1998, टी20 – 2006 |
| अंतरराष्ट्रीय संन्यास | दिसंबर 2015 (सभी प्रारूप), सितंबर 2021 (IPL और सभी क्रिकेट) |
| प्रमुख उपलब्धि | 2007 टी20 विश्व कप, 2011 वनडे विश्व कप विजेता, पहले भारतीय टेस्ट हैट्रिक |
| विशेष रिकॉर्ड | ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक श्रृंखला में 32 विकेट (2001), 417 टेस्ट विकेट |
| जर्सी नंबर | 3 |
| पुरस्कार | पद्म श्री (2009), अर्जुन पुरस्कार (2003) |
| वर्तमान व्यवसाय | राज्यसभा सांसद, क्रिकेट कमेंटेटर, अभिनेता |
| अनुमानित संपत्ति | लगभग 10 मिलियन डॉलर (85 करोड़ रुपये) |

हरभजन सिंह का जन्म 3 जुलाई 1980 को जालंधर, पंजाब में एक सिख परिवार में हुआ। दरअसल, यह रामगढ़िया परिवार था जहां खेल को बहुत महत्व दिया जाता था। हालांकि, परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। फिर भी, पिता ने बेटे के सपने का पूरा साथ दिया।
इसके अलावा, हरभजन के पिता सरदार सरदेव सिंह प्लाहा खुद छोटे स्तर पर क्रिकेट खेलते थे। साथ ही, वे व्यवसायी थे। वास्तव में, पिता ने हरभजन में क्रिकेट की प्रतिभा बचपन से ही देख ली थी। हालांकि, हरभजन परिवार के इकलौते बेटे थे। फिर भी, पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। इसलिए, छोटी उम्र से ही हरभजन मैदान में गेंद घुमाने लगे।
इसके अतिरिक्त, हरभजन की बहनें अविवाहित थीं। दरअसल, भारतीय संस्कृति में बेटे पर परिवार की जिम्मेदारी होती है। हालांकि, हरभजन के करियर में जब संकट आया तो यह जिम्मेदारी और भी भारी लगने लगी। फिर भी, माँ अवतार कौर ने हमेशा बेटे का साथ दिया। वास्तव में, पिता की असमय मृत्यु के बाद परिवार का बोझ पूरी तरह हरभजन पर आ गया। इसलिए, उन समय बहुत कठिन था।

हरभजन ने क्रिकेट की शुरुआत जालंधर के स्थानीय मैदानों से की। दरअसल, वे बचपन से ही स्पिन गेंदबाजी में रुचि रखते थे। हालांकि, शुरुआत में कोई औपचारिक कोच नहीं था। फिर भी, पिता ने उन्हें मैदान पर ले जाना कभी नहीं छोड़ा। वास्तव में, स्थानीय क्लब क्रिकेट में हरभजन ने अपनी प्रतिभा दिखानी शुरू की।
इसके बाद, हरभजन ने पंजाब की युवा टीमों के लिए खेलना शुरू किया। साथ ही, उनकी ऑफ स्पिन गेंदबाजी धीरे-धीरे सुधरने लगी। हालांकि, सबसे बड़ी चुनौती उनका गुस्सैल स्वभाव था। फिर भी, मैदान पर उनकी आक्रामकता फायदेमंद भी साबित होती थी। इसलिए, जल्द ही उन्हें राज्य स्तर पर पहचान मिलने लगी।
वास्तव में, 1997-98 सीजन में हरभजन ने 17 साल की उम्र में पंजाब के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। इसके अलावा, उन्होंने तुरंत प्रभाव डाला। साथ ही, घरेलू क्रिकेट में उनके प्रदर्शन ने राष्ट्रीय चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा। हालांकि, अभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की राह बहुत लंबी थी। फिर भी, मौका जल्द ही आने वाला था।
1 मार्च 1998 को हरभजन सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। दरअसल, यह भारत के लिए ऐतिहासिक श्रृंखला थी। हालांकि, हरभजन का पहला मैच बहुत अच्छा नहीं रहा। फिर भी, सिर्फ 17 साल की उम्र में भारत के लिए खेलना बड़ी बात थी। वास्तव में, एक महीने बाद उन्होंने वनडे में भी पदार्पण किया। इसलिए, हरभजन भारतीय टीम का हिस्सा बन गए।
इसके अलावा, शुरुआती दिनों में हरभजन का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा। साथ ही, कई बार टीम से बाहर भी हुए। हालांकि, वे लगातार घरेलू क्रिकेट में अच्छा प्रदर्शन करते रहे। फिर भी, अनुशासन की कमी उनकी सबसे बड़ी समस्या थी। इसलिए, 2000 में एक बड़ा झटका लगा।
दरअसल, 2000 के मध्य में हरभजन को राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण के लिए चुना गया। वास्तव में, यह बहुत बड़ा सम्मान था। इसके अलावा, उन्हें महान ऑफ स्पिनरों इरापल्ली प्रसन्ना और श्रीनिवास वेंकटराघवन के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण लेना था। साथ ही, यह हरभजन के करियर को नई दिशा दे सकता था।
हालांकि, हरभजन का व्यवहार अनुशासनहीन रहा। फिर भी, निदेशक हनुमंत सिंह ने उन्हें चेतावनी दी। वास्तव में, हरभजन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसलिए, अंततः उन्हें अनुशासनहीनता के आधार पर निष्कासित कर दिया गया। इसके अतिरिक्त, उनकी इंडियन एयरलाइंस की नौकरी भी खतरे में आ गई। दरअसल, यह हरभजन के करियर का सबसे निचला पॉइंट था। बाद में, हरभजन ने स्वीकार किया कि वे गलत थे।
2000-01 सीजन की शुरुआत हरभजन के लिए बहुत कठिन थी। दरअसल, राष्ट्रीय अकादमी से निष्कासन के बाद उनका चयन फिर से नहीं हो रहा था। हालांकि, अनिल कुंबले चोटिल थे। फिर भी, चयनकर्ताओं ने मुरली कार्तिक, सुनील जोशी और सरनदीप सिंह को हरभजन से ऊपर रखा। वास्तव में, हरभजन को लग रहा था कि उनका करियर खत्म हो गया है। इसलिए, वे बहुत निराश थे।
इसके अतिरिक्त, इसी समय उनके पिता की अचानक मृत्यु हो गई। दरअसल, यह हरभजन के लिए सबसे बड़ा झटका था। हालांकि, अब परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन पर आ गई थी। फिर भी, उनका क्रिकेट करियर अंधेरे में था। साथ ही, माँ और अविवाहित बहनों का भविष्य भी अनिश्चित था। इसलिए, हरभजन ने एक कठिन निर्णय लेने की सोची।
वास्तव में, हरभजन ने क्रिकेट छोड़ने का फैसला किया। इसके बाद, वे अमेरिका जाकर ट्रक ड्राइवर की नौकरी करने की योजना बनाने लगे। साथ ही, उन्होंने सोचा कि वहां कम से कम परिवार की आर्थिक मदद कर सकेंगे। हालांकि, यह हरभजन का सबसे अंधेरा समय था। फिर भी, किस्मत ने उनका साथ दिया। दरअसल, 12 महीने बाद अचानक एक मौका आया जिसने हरभजन की जिंदगी बदल दी। इसलिए, भारतीय क्रिकेट इतिहास भी बदल गया।
मार्च 2001 में ऑस्ट्रेलिया भारत दौरे पर आया। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया ने लगातार 15 टेस्ट जीते थे और विश्व रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि, अनिल कुंबले चोटिल थे। फिर भी, चयनकर्ताओं ने अप्रत्याशित रूप से हरभजन को चुना। वास्तव में, हरभजन के पिछले सर्वश्रेष्ठ टेस्ट आंकड़े सिर्फ 3/30 थे। इसलिए, किसी को उम्मीद नहीं थी कि वे इतिहास रचेंगे।
इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया 1969 के बाद पहली बार भारतीय जमीन पर श्रृंखला जीतना चाहता था। साथ ही, उनकी टीम में स्टीव वॉ, रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वार्न जैसे दिग्गज थे। हालांकि, हरभजन ने सबको चौंका दिया। फिर भी, पहले टेस्ट में मुंबई में हरभजन ने शानदार शुरुआत की।
दरअसल, भारत ने पहली पारी में सिर्फ 176 रन बनाए। हालांकि, हरभजन ने जवाब में ऑस्ट्रेलिया को 99/5 पर ला दिया। फिर भी, उन्होंने एक स्पेल में 3/8 के आंकड़े दिए। वास्तव में, यह संकेत था कि कुछ खास होने वाला है। इसलिए, सब हरभजन पर ध्यान देने लगे। हालांकि, असली जादू अगले टेस्ट में होना था।
11-15 मार्च 2001 को कोलकाता के ईडन गार्डन्स में दूसरा टेस्ट खेला गया। दरअसल, यह क्रिकेट इतिहास का सबसे महान टेस्ट मैच था। हालांकि, शुरुआत में सबकुछ ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में था। फिर भी, हरभजन ने जो किया वह अविश्वसनीय था।
वास्तव में, हरभजन ने इस मैच में पहली पारी में 7/123 और दूसरी पारी में 6/73 लिए। इसके अलावा, पहली पारी में एक ऐतिहासिक क्षण आया। साथ ही, हरभजन ने लगातार तीन गेंदों पर रिकी पोंटिंग, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वार्न को आउट किया। हालांकि, यह टेस्ट क्रिकेट में पहली भारतीय हैट्रिक थी। फिर भी, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा।
इसके अतिरिक्त, ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रन बनाए। दरअसल, भारत ने जवाब में सिर्फ 171 रन बनाए और फॉलो-ऑन खेलना पड़ा। हालांकि, तब वीवीएस लक्ष्मण (281) और राहुल द्रविड़ (180) ने इतिहास रचा। फिर भी, दूसरी पारी में भी हरभजन की गेंदबाजी घातक रही। वास्तव में, भारत ने फॉलो-ऑन के बाद पहली बार टेस्ट जीता। इसलिए, यह मैच अमर हो गया।
तीसरा और अंतिम टेस्ट चेन्नई में खेला गया। दरअसल, यह निर्णायक मैच था। हालांकि, हरभजन का जादू यहां भी जारी रहा। फिर भी, ऑस्ट्रेलिया को उम्मीद थी कि वे वापसी करेंगे। वास्तव में, हरभजन ने इस मैच में भी 8 विकेट लिए। इसलिए, भारत ने श्रृंखला 2-1 से जीत ली।
इसके अतिरिक्त, पूरी तीन टेस्ट श्रृंखला में हरभजन ने 32 विकेट सिर्फ 17.03 की औसत से लिए। साथ ही, यह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक श्रृंखला में किसी भारतीय गेंदबाज के सबसे ज्यादा विकेट थे। हालांकि, यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। फिर भी, सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि किसी और भारतीय गेंदबाज ने इस श्रृंखला में 3 से ज्यादा विकेट नहीं लिए। दरअसल, हरभजन ने अकेले ही ऑस्ट्रेलिया को हराया। वास्तव में, रातोंरात हरभजन राष्ट्रीय नायक बन गए। इसलिए, पूरा भारत उन पर नाज करने लगा।
2001 के बाद हरभजन भारत के प्रमुख स्पिनर बन गए। दरअसल, अगले दशक तक वे भारतीय गेंदबाजी का अहम हिस्सा रहे। हालांकि, उनके साथ अनिल कुंबले की जोड़ी घातक साबित हुई। फिर भी, हरभजन का योगदान अविस्मरणीय रहा। वास्तव में, घर की पिचों पर वे लगभग अजेय थे।
इसके अलावा, 34 टेस्ट मैचों में हरभजन और अनिल कुंबले ने साथ में 366 विकेट लिए। साथ ही, इस दौरान भारत सिर्फ एक श्रृंखला हारा। हालांकि, हरभजन ने 103 टेस्ट मैचों में 417 विकेट लिए। फिर भी, वे भारत के तीसरे सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। इसलिए, उनका स्थान भारतीय क्रिकेट इतिहास में सुरक्षित है।
वास्तव में, हरभजन सिर्फ गेंदबाज नहीं थे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने निचले क्रम से कई महत्वपूर्ण रन भी बनाए। साथ ही, टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने दो शतक भी लगाए। हालांकि, उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 115 रन था। फिर भी, 2010 में उन्होंने नंबर 8 पर बल्लेबाजी करते हुए लगातार दो शतक लगाए। दरअसल, वे ऐसा करने वाले पहले बल्लेबाज थे। इसलिए, हरभजन एक पूर्ण खिलाड़ी थे।

सितंबर 2007 में दक्षिण अफ्रीका में पहला टी20 विश्व कप हुआ। दरअसल, हरभजन MS धोनी की टीम का अहम हिस्सा थे। हालांकि, सभी को टी20 फॉर्मेट में ढलना था। फिर भी, हरभजन ने शानदार प्रदर्शन किया।
वास्तव में, ग्रुप स्टेज में पाकिस्तान के खिलाफ हरभजन ने मैच जिताऊ स्पेल डाली। इसके अलावा, उन्होंने महत्वपूर्ण विकेट लिए। साथ ही, बाउल-आउट में भी उन्होंने सटीक गेंद फेंकी। हालांकि, सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी शानदार गेंदबाजी की। फिर भी, सबसे यादगार माइकल क्लार्क को योर्कर से आउट करना था। इसलिए, भारत फाइनल में पहुंचा और पाकिस्तान को हराकर पहला टी20 विश्व कप जीत लिया। वास्तव में, यह हरभजन की पहली विश्व ट्रॉफी थी।
जनवरी 2008 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक बड़ा विवाद हुआ। दरअसल, सिडनी टेस्ट के दौरान हरभजन और एंड्रयू सिमंड्स के बीच मैदान पर कहासुनी हो गई। हालांकि, सिमंड्स ने आरोप लगाया कि हरभजन ने नस्लीय गाली दी। फिर भी, हरभजन ने इसे पूरी तरह नकारा।
वास्तव में, मामला बहुत बड़ा हो गया। इसके बाद, हरभजन को तीन टेस्ट का प्रतिबंध लगाया गया। साथ ही, अपील पर यह सजा कम करके गाली देने तक सीमित कर दी गई। हालांकि, यह क्रिकेट के सबसे विवादास्पद मामलों में से एक था। फिर भी, आगे चलकर IPL में दोनों मुंबई इंडियंस के टीममेट बने और अच्छे दोस्त भी। इसलिए, विवाद अंततः सुलझ गया।

2008 में जब IPL शुरू हुआ, हरभजन मुंबई इंडियंस का हिस्सा बने। दरअसल, यह साझेदारी 10 साल तक चली। हालांकि, इस दौरान मुंबई ने पांच बार IPL खिताब जीता। फिर भी, हरभजन तीन खिताबों (2013, 2015, 2017) का हिस्सा रहे। वास्तव में, हरभजन ने रोहित शर्मा के साथ मुंबई इंडियंस को कई यादगार जीत दिलाई।
वास्तव में, हरभजन ने 2011 में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ 5/18 की शानदार गेंदबाजी की। इसके अलावा, यह IPL में उनके सर्वश्रेष्ठ आंकड़े थे। साथ ही, हरभजन ने मुंबई इंडियंस के लिए 20 मैचों में कप्तानी भी की। हालांकि, 2018 में मुंबई ने उन्हें रिलीज कर दिया। फिर भी, तुरंत चेन्नई सुपर किंग्स ने उन्हें खरीद लिया।
इसके अतिरिक्त, हरभजन ने चेन्नई (2018-2020) और कोलकाता नाइट राइडर्स (2021) के लिए भी खेला। दरअसल, पूरे IPL करियर में उन्होंने 163 मैचों में 150 विकेट लिए। हालांकि, औसत 26.86 और इकॉनमी 7.07 रही। फिर भी, वे IPL के सबसे सफल स्पिनरों में से एक थे। वास्तव में, 2015 में किंग्स XI पंजाब (अब पंजाब किंग्स) के खिलाफ उन्होंने 64 रन भी बनाए। इसलिए, IPL में भी वे पूर्ण खिलाड़ी साबित हुए।

फरवरी-अप्रैल 2011 में भारत में वनडे विश्व कप हुआ। दरअसल, पूरे देश को इसका बेसब्री से इंतजार था। हालांकि, हरभजन भारत की स्पिन आक्रमण का अहम हिस्सा थे। फिर भी, युवराज सिंह और जहीर खान ने सबसे ज्यादा विकेट लिए। वास्तव में, हरभजन ने पूरे टूर्नामेंट में 9 मैचों में 9 विकेट लिए।
इसके अलावा, हरभजन का सबसे बड़ा योगदान अनुभव और दबाव संभालना था। साथ ही, वे टीम के सीनियर खिलाड़ियों में से एक थे। हालांकि, फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ वे 0/66 रहे। फिर भी, जब भारत ने 2 अप्रैल 2011 की रात विश्व कप जीता और MS धोनी ने वह यादगार छक्का लगाया, तो हरभजन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल, यह उनकी दूसरी विश्व ट्रॉफी थी। इसलिए, 2001 का संघर्ष करने वाला लड़का अब विश्व विजेता था। वास्तव में, यह सपनों के सच होने जैसा था।
दिसंबर 2015 के बाद हरभजन को भारतीय टीम में नहीं चुना गया। दरअसल, उनका आखिरी टेस्ट जुलाई 2015 में श्रीलंका में था। हालांकि, आखिरी वनडे और टी20 मार्च 2016 में UAE के खिलाफ था। फिर भी, औपचारिक संन्यास की घोषणा नहीं की।
वास्तव में, हरभजन ने IPL में खेलना जारी रखा। इसके अलावा, 2021 तक वे सक्रिय रहे। साथ ही, सितंबर 2021 में उन्होंने सभी प्रकार के क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की। हालांकि, तब तक वे 41 साल के हो चुके थे। फिर भी, उनका योगदान अविस्मरणीय रहा। इसलिए, भारतीय क्रिकेट हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

हरभजन सिंह की मुलाकात बॉलीवुड अभिनेत्री गीता बसरा से 2000 के दशक में हुई। दरअसल, दोनों ने कई सालों तक अपने रिश्ते को निजी रखा। हालांकि, 2015 में शादी की घोषणा की। फिर भी, 29 अक्टूबर 2015 को जालंधर में भव्य शादी हुई। वास्तव में, यह बहुत खूबसूरत समारोह था।
इसके अलावा, दोनों के दो बच्चे हैं। साथ ही, बेटी का नाम हिनाया हीर प्लाहा है जो 2016 में पैदा हुई। हालांकि, बेटे का नाम जोवन वीर सिंह प्लाहा है। फिर भी, हरभजन परिवार के साथ बहुत समय बिताते हैं। इसलिए, वे बहुत अच्छे पति और पिता हैं। वास्तव में, गीता और हरभजन का बंधन बहुत मजबूत है।
संन्यास के बाद हरभजन कई क्षेत्रों में सक्रिय हैं। दरअसल, वे राज्यसभा सांसद बन गए हैं। हालांकि, यह उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत है। फिर भी, वे सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाते हैं।
वास्तव में, हरभजन क्रिकेट कमेंटेटर के रूप में भी बहुत लोकप्रिय हैं। इसके अलावा, वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में कमेंट्री करते हैं। साथ ही, उनका विश्लेषण बहुत गहरा होता है। हालांकि, कभी-कभी विवादास्पद बयान भी देते हैं। फिर भी, दर्शक उनकी कमेंट्री पसंद करते हैं।
इसके अतिरिक्त, हरभजन ने कुछ फिल्मों में भी काम किया है। दरअसल, उन्होंने पंजाबी सिनेमा में अभिनय किया। हालांकि, क्रिकेट उनकी पहली पहचान रही। फिर भी, वे मनोरंजन जगत में भी सक्रिय हैं। वास्तव में, हरभजन टेलीविजन रियलिटी शो में भी नजर आते हैं। साथ ही, विज्ञापनों में भी काफी लोकप्रिय हैं। इसलिए, वे बहुआयामी व्यक्तित्व हैं।
हरभजन सिंह के नाम कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड और उपलब्धियां हैं:
| रिकॉर्ड/उपलब्धि | विवरण |
|---|---|
| 2011 वनडे विश्व कप विजेता | भारत की विजयी टीम का हिस्सा |
| 2007 टी20 विश्व कप विजेता | पहला टी20 विश्व कप जीता |
| पहली भारतीय टेस्ट हैट्रिक | पोंटिंग, गिलक्रिस्ट, वार्न (2001, ईडन गार्डन्स) |
| एक श्रृंखला में सबसे ज्यादा विकेट | 32 विकेट vs ऑस्ट्रेलिया (2001) |
| टेस्ट विकेट | 103 मैच, 417 विकेट, औसत 28.76 |
| वनडे विकेट | 236 मैच, 269 विकेट, औसत 33.35 |
| टी20 विकेट | 28 मैच, 25 विकेट |
| टेस्ट शतक | 2 (115 vs न्यूजीलैंड 2010, 111 vs बांग्लादेश 2010) |
| नंबर 8 पर लगातार शतक | पहले खिलाड़ी (टेस्ट इतिहास में) |
| IPL विकेट | 163 मैच, 150 विकेट |
| IPL खिताब | 3 बार (मुंबई इंडियंस – 2013, 2015, 2017) |
| पद्म श्री | 2009 में भारत सरकार द्वारा |
| अर्जुन पुरस्कार | 2003 |
| अनिल कुंबले के साथ साझेदारी | 34 टेस्ट में 366 विकेट, सिर्फ एक श्रृंखला हारी |
| सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट | भारत के लिए तीसरे स्थान पर (417) |
हरभजन सिंह का व्यक्तित्व बहुत मजबूत और आक्रामक है। दरअसल, मैदान पर उनका रवैया बहुत तीव्र होता था। हालांकि, यह कई बार विवादों का कारण भी बना। फिर भी, उनकी प्रतिभा निर्विवाद थी।
वास्तव में, हरभजन को कई बार अनुशासनात्मक मुद्दों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, 2008 में सिमंड्स विवाद उनके करियर का सबसे बड़ा विवाद था। साथ ही, 2009 में श्रीसंत के साथ IPL में मारपीट का मामला भी चर्चित रहा। हालांकि, इन सब के बावजूद हरभजन ने अपना प्रदर्शन जारी रखा। फिर भी, बाद में उन्होंने अपने व्यवहार में सुधार किया। इसलिए, आज वे एक परिपक्व और सम्मानित व्यक्तित्व हैं।
हरभजन सिंह की कहानी संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी है। दरअसल, जालंधर के साधारण परिवार से भारतीय क्रिकेट के महान गेंदबाज बनना आसान नहीं था। इसके बाद, राष्ट्रीय अकादमी से निष्कासन, पिता की मृत्यु और अमेरिका जाकर ट्रक चलाने की सोचना – यह सब बहुत दर्दनाक था। हालांकि, हरभजन ने हार नहीं मानी। फिर भी, 2001 में एक मौका आया और उन्होंने इतिहास रच दिया।
वास्तव में, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 32 विकेट, पहली भारतीय टेस्ट हैट्रिक, और 417 टेस्ट विकेट – यह सब अविश्वसनीय है। इसके अलावा, 2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप जीतना उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धियां हैं। साथ ही, IPL में मुंबई इंडियंस के लिए उनका योगदान भी महत्वपूर्ण रहा। हालांकि, उनकी असली ताकत उनका जुझारू स्वभाव था। फिर भी, वे हमेशा भारत के लिए लड़ते रहे।
आज हरभजन सिंह राज्यसभा सांसद, कमेंटेटर और सम्मानित व्यक्तित्व हैं। हालांकि, क्रिकेट प्रेमी उन्हें हमेशा उस स्पिनर के रूप में याद करेंगे जिसने 2001 में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। दरअसल, हरभजन सिर्फ क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं। इसलिए, वे हमेशा भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे महान खिलाड़ियों में गिने जाएंगे। वास्तव में, टर्बनेटर का जादू अमर है!
हरभजन सिंह प्लाहा। हालांकि, सब उन्हें भज्जी और टर्बनेटर कहते हैं।
दिसंबर 2025 तक 45 वर्ष। दरअसल, जन्म 3 जुलाई 1980 को हुआ।
क्योंकि वे सिख हैं और पगड़ी पहनते हैं। साथ ही, गेंदबाजी में बहुत आक्रामक थे। इसलिए, टर्मिनेटर से प्रेरित यह नाम मिला।
2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 32 विकेट और पहली भारतीय टेस्ट हैट्रिक। वास्तव में, यह भारतीय क्रिकेट का सुनहरा पल था।
11 मार्च 2001, ईडन गार्डन्स, कोलकाता। दरअसल, पोंटिंग, गिलक्रिस्ट और वार्न को आउट किया।
417 टेस्ट विकेट, 269 वनडे विकेट, 25 टी20 विकेट। साथ ही, भारत के तीसरे सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले।
गीता बसरा (बॉलीवुड अभिनेत्री)। दरअसल, 29 अक्टूबर 2015 को शादी हुई।
दो – बेटी हिनाया हीर और बेटा जोवन वीर सिंह। हालांकि, बहुत प्यारे हैं।
राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से अनुशासनहीनता के लिए। फिर भी, बाद में उन्होंने सुधार किया।
2000-01 में जब पिता की मृत्यु हो गई और करियर खतरे में था। दरअसल, अमेरिका जाकर ट्रक चलाने की सोची थी।
दो – 2007 टी20 विश्व कप और 2011 वनडे विश्व कप। वास्तव में, दोनों बहुत खास थीं।
163 मैच, 150 विकेट। साथ ही, मुंबई इंडियंस के साथ 3 खिताब जीते।
मुंबई इंडियंस (2008-2017), चेन्नई सुपर किंग्स (2018-2020), कोलकाता नाइट राइडर्स (2021)।
2 शतक। दरअसल, दोनों 2010 में नंबर 8 पर बल्लेबाजी करते हुए। फिर भी, यह रिकॉर्ड था।
2008 में एंड्रयू सिमंड्स के साथ। हालांकि, बाद में सुलझ गया और IPL में दोस्त बने।
पद्म श्री (2009), अर्जुन पुरस्कार (2003)। साथ ही, कई क्रिकेट पुरस्कार।
दिसंबर 2015 के बाद नहीं चुने गए। दरअसल, सितंबर 2021 में औपचारिक संन्यास की घोषणा की।
राज्यसभा सांसद, क्रिकेट कमेंटेटर। साथ ही, कभी-कभी फिल्मों में भी काम करते हैं।
शानदार। वास्तव में, 34 टेस्ट में साथ में 366 विकेट लिए। फिर भी, सिर्फ एक श्रृंखला हारी।
जुझारू स्वभाव और कभी हार न मानने का जज्बा। इसलिए, संकट से भी उबरकर महान बने।