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क्रिकेट के इतिहास में कुछ ही नाम ऐसे हैं जो खेल की सीमाओं को पार कर एक धर्म बन गए हों। सचिन रमेश तेंदुलकर एक ऐसा ही नाम है जिसे भारत में क्रिकेट के भगवान के रूप में पूजा जाता है। 24 साल के शानदार अंतरराष्ट्रीय करियर में सचिन ने ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए जो शायद कभी नहीं टूट सकते।
सचिन तेंदुलकर का नाम सुनते ही दिमाग में अनगिनत यादगार पलों की झड़ी लग जाती है। 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू, शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तूफानी पारियां, 2011 विश्व कप की जीत, और सबसे खास – अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक पूरे करने का अद्भुत रिकॉर्ड। सचिन केवल एक क्रिकेटर नहीं थे, वे एक पूरी पीढ़ी की प्रेरणा और करोड़ों लोगों की आस्था थे।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | सचिन रमेश तेंदुलकर (Sachin Ramesh Tendulkar) |
| उपनाम | मास्टर ब्लास्टर, लिटिल मास्टर, क्रिकेट का भगवान |
| जन्म तिथि | 24 अप्रैल 1973 |
| जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
| उम्र | 51 वर्ष (2025 तक) |
| ऊंचाई | लगभग 5 फीट 5 इंच (165 सेमी) |
| बल्लेबाजी शैली | दाएं हाथ के बल्लेबाज |
| गेंदबाजी शैली | दाएं हाथ के लेग ब्रेक, ऑफ ब्रेक |
| पिता का नाम | रमेश तेंदुलकर |
| माता का नाम | रजनी तेंदुलकर |
| भाई-बहन | निटिन, अजित (भाई), सविताई (बहन) |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
| पत्नी का नाम | अंजलि तेंदुलकर (डॉक्टर) |
| संतान | सारा तेंदुलकर (बेटी), अर्जुन तेंदुलकर (बेटा) |
| कोच | रमाकांत आचरेकर |
| धर्म | हिंदू धर्म |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| पेशा | पूर्व भारतीय क्रिकेटर |
| भूमिका | बल्लेबाज (टॉप ऑर्डर) |
| जर्सी नंबर | 10 |
| अंतरराष्ट्रीय करियर | 1989 से 2013 |
| टेस्ट डेब्यू | 15 नवंबर 1989 (पाकिस्तान के खिलाफ) |
| वनडे डेब्यू | 18 दिसंबर 1989 (पाकिस्तान के खिलाफ) |
| आखिरी टेस्ट | 16 नवंबर 2013 (वेस्टइंडीज के खिलाफ) |
| आखिरी वनडे | 18 मार्च 2012 (पाकिस्तान के खिलाफ) |
| आईपीएल टीम | मुंबई इंडियंस |
| प्रमुख पुरस्कार | भारत रत्न (2014), पद्म विभूषण (2008), पद्म श्री (1999), राजीव गांधी खेल रत्न (1997-98), अर्जुन अवार्ड (1994) |
| विशेष उपलब्धि | 100 अंतरराष्ट्रीय शतक (एकमात्र खिलाड़ी) |
| निवास स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |

सचिन रमेश तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई, महाराष्ट्र के दादर इलाके में एक मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। उनके पिता रमेश तेंदुलकर एक मराठी उपन्यासकार और प्रोफेसर थे। उनकी माता रजनी तेंदुलकर एक गृहिणी थीं। सचिन अपने माता-पिता की चौथी संतान थे।
सचिन का नाम उनके पिता के पसंदीदा संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा गया था। उनके तीन बड़े भाई-बहन हैं – निटिन, अजित और सविताई। सचिन के बड़े भाई अजित तेंदुलकर ने उनके क्रिकेट करियर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सचिन का बचपन मुंबई की गलियों में क्रिकेट खेलते हुए बीता। वे शुरू से ही क्रिकेट के दीवाने थे। स्कूल से घर आते ही वे क्रिकेट किट उठाकर मैदान की ओर भाग जाते थे। उनका पूरा दिन क्रिकेट खेलने में बीतता था। उनके बड़े भाई अजित ने उनकी इस प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलाने का फैसला किया।

सचिन जब 11 साल के थे तब उनके बड़े भाई अजित उन्हें प्रसिद्ध क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर के पास ले गए। आचरेकर सर शिवाजी पार्क में युवा क्रिकेटरों को ट्रेनिंग देते थे। उन्होंने सचिन को नेट्स में बल्लेबाजी करते हुए देखा और तुरंत उनकी प्रतिभा को पहचान लिया।
आचरेकर ने सचिन को अपनी अकादमी में दाखिला दे दिया। इसके बाद सचिन का जीवन पूरी तरह से क्रिकेट को समर्पित हो गया। वे रोज सुबह जल्दी उठकर शिवाजी पार्क जाते थे और घंटों प्रैक्टिस करते थे। स्कूल के बाद फिर से प्रैक्टिस। आचरेकर सर सचिन से बहुत सख्त थे लेकिन उन्होंने सचिन में वह अनुशासन भरा जो बाद में उनकी सफलता का आधार बना।
आचरेकर सर एक दिलचस्प तरीका अपनाते थे। जब सचिन नेट्स में अच्छी बल्लेबाजी करते थे तो वे उनके बल्ले पर एक सिक्का रख देते थे। सचिन को वह सिक्का तभी मिलता था जब वे आउट नहीं होते थे। सचिन ने इन सिक्कों को सहेज कर रखा और कहा जाता है कि ये सिक्के आज भी उनके पास हैं।
सचिन के माता-पिता ने उनके सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल में दाखिला दिलाया। यह स्कूल शिवाजी पार्क के करीब था जिससे सचिन आसानी से प्रैक्टिस कर सकते थे। इस स्कूल में सचिन को क्रिकेट के लिए पूरा सपोर्ट मिला।
शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल में सचिन ने क्रिकेट की दुनिया में तहलका मचाना शुरू कर दिया। 1988 में हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में सचिन ने अपने दोस्त विनोद कांबली के साथ मिलकर 664 रन की रिकॉर्ड साझेदारी की। यह अभी भी किसी भी क्रिकेट मैच में स्कूल स्तर पर सबसे बड़ी साझेदारी है।
इस पारी में सचिन ने 326 रन बनाए थे। यह पारी देखकर सभी समझ गए कि यह लड़का कुछ खास है। मुंबई के क्रिकेट सर्कल में सचिन का नाम चर्चा का विषय बन गया। चयनकर्ताओं की नजरें उन पर टिक गईं।
स्कूल क्रिकेट में सचिन ने लगातार बड़े स्कोर बनाए। उनकी तकनीक, फुटवर्क और शॉट सिलेक्शन किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह थी। मात्र 15 साल की उम्र में उन्हें मुंबई की रणजी टीम में चुन लिया गया।

नवंबर 1987 में सचिन ने गुजरात के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में अपना डेब्यू किया। वे उस समय सिर्फ 14 साल के थे। हालांकि पहले मैच में उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
1988-89 सीजन में सचिन ने अपनी पहली रणजी शतक बनाया। यह शतक भी बहुत खास था क्योंकि उन्होंने गुजरात के खिलाफ मात्र 15 साल की उम्र में शतक जड़ा था। इस पारी के बाद सभी को विश्वास हो गया कि यह युवा खिलाड़ी जल्द ही भारतीय टीम में जगह बनाएगा।
घरेलू क्रिकेट में सचिन का प्रदर्शन इतना शानदार था कि 1989 में भारतीय चयनकर्ताओं ने उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ खेली जाने वाली सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुन लिया। यह सचिन के जीवन का सबसे बड़ा पल था।

15 नवंबर 1989 को मात्र 16 साल की उम्र में सचिन तेंदुलकर ने कराची में पाकिस्तान के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। वे भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट डेब्यू करने वाले खिलाड़ी बने। पहले ही मैच में सचिन को पाकिस्तान के खतरनाक तेज गेंदबाज वकार यूनिस, इमरान खान और वसीम अकरम का सामना करना पड़ा।
पहले मैच में सचिन ने 15 रन बनाए। हालांकि यह ज्यादा नहीं था लेकिन जिस तरीके से सचिन ने पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों का सामना किया, उससे सभी प्रभावित हुए। एक मैच में वकार यूनिस की तेज गेंद सचिन की नाक पर लगी और खून बहने लगा। लेकिन सचिन ने हार नहीं मानी और खून पोंछकर दोबारा बल्लेबाजी करने लगे। इस घटना ने सचिन की मानसिक मजबूती को दिखाया।
18 दिसंबर 1989 को सचिन ने गुवाहाटी में पाकिस्तान के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया। इस मैच में उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। उनका पहला वनडे रन 1990 में न्यूजीलैंड के खिलाफ आया।

14 अगस्त 1990 को सचिन ने मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट शतक बनाया। यह शतक बहुत खास था क्योंकि सचिन उस समय सिर्फ 17 साल के थे और इंग्लैंड की गेंदबाजी बहुत मजबूत थी। इस पारी में सचिन ने 119 रन बनाए और भारत को मैच बचाने में मदद की।
9 सितंबर 1994 को श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में सचिन ने अपना पहला वनडे शतक बनाया। उन्होंने 110 रन बनाए और भारत को जीत दिलाई। इसके बाद तो शतकों का सिलसिला शुरू हो गया जो 2012 तक चलता रहा।
1996 का विश्व कप सचिन के करियर का टर्निंग पॉइंट था। इस विश्व कप में सचिन ने धमाकेदार प्रदर्शन किया और पूरी दुनिया ने उन्हें मास्टर ब्लास्टर के रूप में पहचाना। उन्होंने इस टूर्नामेंट में 523 रन बनाए जो उस समय किसी भी खिलाड़ी द्वारा एक विश्व कप में सबसे ज्यादा रन थे।
सचिन ने पाकिस्तान, श्रीलंका, केन्या और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शानदार पारियां खेलीं। हालांकि भारत सेमीफाइनल में श्रीलंका से हार गया लेकिन सचिन इस टूर्नामेंट के स्टार खिलाड़ी बने। उन्हें इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में सम्मानित किया गया।
1998 में शारजाह में खेले गए कोका-कोला कप ने सचिन को शारजाह का बादशाह बना दिया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन ने दो यादगार पारियां खेलीं जो आज भी क्रिकेट इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं।
22 अप्रैल 1998 को सचिन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 143 रन की तूफानी पारी खेली। उन्होंने शेन वार्न जैसे महान गेंदबाज को भी अपनी बल्लेबाजी से बेबस कर दिया। इस पारी में सचिन ने 9 चौके और 5 छक्के लगाए।
दो दिन बाद 24 अप्रैल को फिर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन ने 134 रन की पारी खेली। इस मैच में भारत को जीत के लिए 273 रन की जरूरत थी। सचिन ने अकेले दम पर टीम को जीत दिलाई। उनकी इस पारी को आज भी वनडे क्रिकेट की सबसे बेहतरीन पारियों में गिना जाता है।

सचिन को पहली बार 1996 में सिंगर कप में भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया। 1997 में उन्हें टेस्ट टीम का नियमित कप्तान बनाया गया। हालांकि कप्तानी का बोझ सचिन के लिए आसान नहीं था।
सचिन ने 25 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की जिसमें भारत ने 4 मैच जीते और 9 मैच हारे। वनडे में उन्होंने 73 मैचों में कप्तानी की जिसमें 23 जीत और 43 हार रही। 1999 विश्व कप के बाद सचिन ने कप्तानी छोड़ दी और सिर्फ बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित किया।
कप्तानी छोड़ने के बाद सचिन के प्रदर्शन में काफी सुधार आया। उन्होंने कहा कि कप्तानी की जिम्मेदारी उनकी बल्लेबाजी पर असर डाल रही थी। कप्तानी छोड़ने के बाद उन्होंने अपने करियर के सबसे यादगार शतक बनाए।
2003 का विश्व कप सचिन तेंदुलकर के करियर का एक और शानदार अध्याय था। इस विश्व कप में सचिन ने बेहतरीन फॉर्म दिखाया और कुल 673 रन बनाए। वे इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे।
सचिन ने नामीबिया के खिलाफ 152 रन, पाकिस्तान के खिलाफ 98 रन और श्रीलंका के खिलाफ 97 रन की यादगार पारियां खेलीं। उनकी हर पारी एक मास्टरक्लास की तरह थी। हालांकि भारत फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार गया, लेकिन सचिन का प्रदर्शन पूरे टूर्नामेंट में शानदार रहा।
इसी विश्व कप में सचिन ने एक नया शॉट भी लोकप्रिय किया जिसे अपर कट कहा जाता है। यह शॉट इतना प्रभावी था कि गेंदबाज सचिन के खिलाफ बाउंसर डालने से कतराने लगे। आज भी यह शॉट युवा बल्लेबाजों के लिए प्रेरणा है।
सचिन तेंदुलकर के नाम क्रिकेट इतिहास के सबसे ज्यादा रिकॉर्ड दर्ज हैं। उन्होंने ऐसे कीर्तिमान बनाए जो आने वाले कई वर्षों तक अटूट लगते हैं।
2008 में सचिन टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने। उन्होंने ब्रायन लारा के 11953 रन के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा। इसके बाद 2009 में उन्होंने वनडे क्रिकेट में भी सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
24 फरवरी 2010 को ग्वालियर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सचिन ने वनडे क्रिकेट का पहला दोहरा शतक लगाया। उन्होंने 200 नाबाद रन बनाए। यह क्रिकेट इतिहास का एक अविश्वसनीय पल था क्योंकि सचिन उस समय 37 साल के थे।
16 मार्च 2012 को मीरपुर में बांग्लादेश के खिलाफ सचिन ने अपना 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक पूरा किया। वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले पहले और अब तक के एकमात्र खिलाड़ी हैं।

2011 का विश्व कप सचिन तेंदुलकर के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जाता है। यह उनका छठा विश्व कप था। 22 साल के लंबे इंतजार के बाद 2 अप्रैल 2011 को भारत ने विश्व कप जीता।
2011 विश्व कप में सचिन तेंदुलकर के साथ साथ युवराज सिंह का प्रदर्शन भी ऐतिहासिक रहा। युवराज सिंह ने ऑलराउंड प्रदर्शन से टीम इंडिया को चैंपियन बनाया।
इस टूर्नामेंट में सचिन ने 482 रन बनाए। उन्होंने इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान के खिलाफ शानदार शतक लगाए। फाइनल में वे श्रीलंका के खिलाफ 18 रन पर आउट हो गए, लेकिन गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी ने टीम को जीत दिलाई।
वानखेड़े स्टेडियम में जीत के बाद सचिन की आंखों में खुशी के आंसू थे। पूरी टीम ने उन्हें कंधों पर उठाया। सचिन ने कहा कि यह विश्व कप पूरे भारत को समर्पित है।
2008 में जब इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हुई, तब सचिन को मुंबई इंडियंस की कप्तानी सौंपी गई। उन्होंने 2008 से 2013 तक टीम की कप्तानी की।
सचिन ने आईपीएल में 78 मैच खेले और 2334 रन बनाए। 2011 में उन्होंने कोच्चि टस्कर्स के खिलाफ एकमात्र आईपीएल शतक लगाया। भले ही वे कप्तान के रूप में आईपीएल ट्रॉफी नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने टीम की मजबूत नींव रखी।
2013 में सचिन ने आईपीएल और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट दोनों से संन्यास ले लिया। उसी साल मुंबई इंडियंस ने अपना पहला आईपीएल खिताब जीता।

10 अक्टूबर 2013 को सचिन ने घोषणा की कि वे अपने 200वें टेस्ट मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेंगे। यह खबर पूरे देश के लिए भावुक कर देने वाली थी।
14 से 16 नवंबर 2013 के बीच वानखेड़े स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला। स्टेडियम खचाखच भरा था और हर कोई उन्हें आखिरी बार खेलते देखना चाहता था।
अपनी आखिरी पारी में सचिन ने 74 रन बनाए। आउट होने के बाद पूरा स्टेडियम खड़े होकर तालियां बजा रहा था। मैच के बाद दिए गए उनके भाषण ने पूरे देश की आंखें नम कर दीं।
सचिन ने कुल 200 टेस्ट और 463 वनडे मैच खेले। उन्होंने 15921 टेस्ट रन और 18426 वनडे रन बनाए। कुल 100 अंतरराष्ट्रीय शतक और 34347 रन उनके करियर की पहचान बने।
24 मई 1995 को सचिन तेंदुलकर ने अंजलि तेंदुलकर से शादी की। अंजलि एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं। दोनों की मुलाकात 1990 में मुंबई एयरपोर्ट पर हुई थी।
उनके दो बच्चे हैं। बेटी सारा तेंदुलकर और बेटा अर्जुन तेंदुलकर। अर्जुन भी क्रिकेटर हैं और घरेलू क्रिकेट खेलते हैं, जबकि सारा मेडिकल फील्ड से जुड़ी हैं।
सचिन सादगी पसंद इंसान हैं। उन्हें कारों का शौक है और फिल्में देखना भी पसंद है। वे अपने परिवार के साथ समय बिताना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।
सचिन तेंदुलकर को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले।
| सम्मान / पुरस्कार | वर्ष |
|---|---|
| अर्जुन अवार्ड | 1994 |
| राजीव गांधी खेल रत्न | 1997-98 |
| पद्म श्री | 1999 |
| पद्म विभूषण | 2008 |
| भारत रत्न | 2014 |
2014 में वे भारत रत्न पाने वाले पहले खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने।
संन्यास के बाद सचिन ने अपनी आत्मकथा Playing It My Way लिखी, जो बेस्टसेलर बनी। उन्होंने सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन की स्थापना की, जो शिक्षा और खेल के क्षेत्र में काम करता है।
2017 में उनकी बायोपिक Sachin: A Billion Dreams रिलीज हुई। वे मुंबई इंडियंस के मेंटर भी हैं और कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं।
सचिन की बल्लेबाजी तकनीक विश्व स्तरीय थी। उनका स्ट्रेट ड्राइव क्रिकेट का सबसे खूबसूरत शॉट माना जाता है। उनकी फुटवर्क, टाइमिंग और शॉट चयन बेजोड़ था।
वे किसी भी गेंदबाज और किसी भी परिस्थिति में रन बनाने की क्षमता रखते थे। दबाव में प्रदर्शन करना उनकी सबसे बड़ी ताकत थी।
सचिन तेंदुलकर का प्रभाव क्रिकेट से कहीं आगे तक फैला है। उन्होंने पूरी एक पीढ़ी को क्रिकेट खेलने की प्रेरणा दी। विराट कोहली, रोहित शर्मा और एमएस धोनी जैसे खिलाड़ियों ने उन्हें अपना आदर्श माना है।
उनकी सबसे बड़ी विरासत उनकी विनम्रता और अनुशासन है। वे हमेशा मैदान पर और मैदान के बाहर सम्मान के प्रतीक बने रहे।
| रिकॉर्ड | आंकड़े |
| कुल अंतरराष्ट्रीय रन | 34347 रन |
| कुल अंतरराष्ट्रीय शतक | 100 शतक |
| टेस्ट मैच | 200 |
| वनडे मैच | 463 |
| टेस्ट शतक | 51 |
| वनडे शतक | 49 |
| विश्व कप रन | 2278 |
| अंतरराष्ट्रीय करियर | 24 वर्ष |
सचिन रमेश तेंदुलकर की कहानी एक साधारण लड़के से क्रिकेट के भगवान बनने की असाधारण यात्रा है। उनकी मेहनत, समर्पण और अनुशासन ने उन्हें अमर बना दिया।
आज भी जब कोई बच्चा क्रिकेट खेलने का सपना देखता है, तो वह सचिन बनना चाहता है। यही उनकी सबसे बड़ी जीत और विरासत है।
सचिन तेंदुलकर का पूरा नाम सचिन रमेश तेंदुलकर है। उनका जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका नाम प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा गया था।
सचिन ने 15 नवंबर 1989 को मात्र 16 साल की उम्र में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में अपना टेस्ट डेब्यू किया। इसके बाद 18 दिसंबर 1989 को उन्होंने वनडे क्रिकेट में डेब्यू किया।
सचिन तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कुल 100 शतक बनाए। इनमें टेस्ट क्रिकेट में 51 और वनडे क्रिकेट में 49 शतक शामिल हैं।
सचिन का 100वां अंतरराष्ट्रीय शतक 16 मार्च 2012 को बांग्लादेश के खिलाफ मीरपुर में आया। इस मैच में उन्होंने 114 रन की पारी खेली थी।
सचिन तेंदुलकर ने 16 नवंबर 2013 को वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने 200वें टेस्ट मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया।
सचिन तेंदुलकर को वर्ष 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। वे भारत रत्न पाने वाले पहले खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति बने।
2011 विश्व कप में सचिन ने कुल 482 रन बनाए और दो शतक लगाए। भारत ने यह विश्व कप जीता, जो सचिन के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
सचिन के कोच रमाकांत आचरेकर थे। उन्होंने शिवाजी पार्क में सचिन को ट्रेनिंग दी और उनके करियर की मजबूत नींव रखी।
सचिन की पत्नी अंजलि तेंदुलकर हैं। वे पेशे से बाल रोग विशेषज्ञ हैं। दोनों ने 24 मई 1995 को शादी की थी।
सचिन के दो बच्चे हैं। बेटी का नाम सारा तेंदुलकर और बेटे का नाम अर्जुन तेंदुलकर है।
वनडे क्रिकेट में पहला दोहरा शतक सचिन तेंदुलकर ने बनाया था। उन्होंने 24 फरवरी 2010 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ग्वालियर में 200 नाबाद रन बनाए।
1998 में शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सचिन ने 143 और 134 रन की दो यादगार पारियां खेलीं। इसके बाद उन्हें शारजाह का बादशाह कहा जाने लगा।
सचिन का पहला टेस्ट शतक 14 अगस्त 1990 को इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में आया। उनका पहला वनडे शतक 9 सितंबर 1994 को श्रीलंका के खिलाफ था।
सचिन को लगा कि कप्तानी की जिम्मेदारी उनकी बल्लेबाजी पर असर डाल रही है, इसलिए उन्होंने कप्तानी छोड़ दी।
सचिन की बल्लेबाजी तकनीक विश्व स्तरीय थी। उनका स्ट्रेट ड्राइव, कवर ड्राइव और ऑन ड्राइव क्रिकेट के सबसे खूबसूरत शॉट्स में गिने जाते हैं।
सचिन ने आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेला और 2008 से 2013 तक टीम की कप्तानी भी की।
सचिन तेंदुलकर की आत्मकथा का नाम Playing It My Way है, जो 2014 में प्रकाशित हुई और बेस्टसेलर बनी।
उन्हें अर्जुन अवार्ड, राजीव गांधी खेल रत्न, पद्म श्री, पद्म विभूषण और भारत रत्न जैसे बड़े सम्मानों से नवाजा गया।
संन्यास के बाद सचिन सामाजिक कार्यों, सचिन तेंदुलकर फाउंडेशन, बिजनेस और मुंबई इंडियंस के मेंटर के रूप में सक्रिय हैं।
उनके 24 साल लंबे करियर, 100 अंतरराष्ट्रीय शतक, ऐतिहासिक रिकॉर्ड और क्रिकेट के प्रति समर्पण के कारण उन्हें क्रिकेट का भगवान कहा जाता है।
हाँ, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह ने भारत के लिए कई यादगार मैच साथ खेले हैं, खासकर 2007 और 2011 विश्व कप में।